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क्या आप ने ऋण की गारंटी दी है और जमानती हो गए हैं तो अपने दायित्वों (मुसीबतों) को जान लें।

क्या आप ने किसी ऋणी की जमानत दी है या देने जा रहे हैं, और उस ऋण के लिए गारंटर (जमानती) हो गए हैं या होने वाले हैं तो आप के लिए यह जान लेना जरूरी है कि आप के दायित्व क्या हैं। अन्यथा हो सकता है कि आप को अप्रत्याशित मुसीबतों का सामना करना पड़ जाए।

हुआ यह कि मेरे एक क्लाइंट के मित्र ने जो कि एक मेडीकल सेल्स रिप्रेजेण्टेटिव है, अपने सेवाच्युत सहकर्मी की सहायता करने के लिए उस की पत्नी के नाम से प्रिन्टिंग प्रेस खोलने के लिए राज्य वित्त-निगम से लिए गए ऋण की जमानत दी। उन सहकर्मी साहब ने प्रेस खोली और चलाई। ऋण चुकाते भी रहे। लेकिन कोई पाच बरस बाद अचानक उस ने प्रेस बेच दी शहर छोड़ दिया और राजधानी में अपना मकान बना कर रहने लगे, कोई नया व्यवसाय कर लिया। गारंटर (कानूनी शब्दावली में [श्योरिटी] यानी जमानती) महोदय को कुछ भी पता नहीं कि उस ने ऋण चुकाया या नहीं।

अचानक उन के नाम अदालत से नोटिस आया कि ऋणी सहकर्मी ने ऋण बकाया छोड़ दिया है, उसे अगर ऋणी द्वारा नहीं चुकाया गया तो वह उन से भी वसूल किया जा सकता है। एक- वर्ष तक मुकदमा चला और फिर निर्णय हुआ कि करीब एक लाख से कुछ ऊपर राशि ऋणी या उस के गारंटर को चुकानी है। ऋणी शहर छोड़ कर हायपोथिकेट की गई प्रेस की मशीनरी को बेच कर जा चुका था। वित्त निगम गारंटर से वसूली पर आ गया। उस के मकान को कुर्क कर लिया गया। गारंटर ने बहुत प्रयास किया कि किसी तरह ऋणी उस राशि को चुका दे। लेकिन वह राशि ऋणी ने नहीं चुकाई, और जमानती (गारंटर) महोदय का मकान नीलाम होने की नौबत आ गई। जैसे तैसे उन्हों ने वित्त निगम के साथ सैटलमेंट (समझौता) किया कुछ ब्याज आदि की राशि छोड़ देने के बाद शेष राशि की व्यवस्था कर वित्त निगम को जमा कराया और अपने मकान को नीलाम होने से बचाया। ऋण लेने वाले साथी ने आज तक उन गारंटर महोदय को यह राशि अदा नहीं की है। गारंटर महोदय कभी कभी मिलते हैं तो मायूस हो कर कहते हैं। कि वे कभी किसी के कर्जे की जमानत नहीं देंगे।

इस से आप समझ गए होंगे कि ऋण की जमानत देना कितना भारी हो सकता है? इस लिए यह समझ लेना जरूरी है कि ऋण की जमानत दे कर उस के गारंटर हो जाने पर आप के दायित्व क्या है?

अगली कड़ी में ऋण की जमानत और गारंटी से सम्बन्धित कानून की विवेचना की जाएगी। (जारी)

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