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कौन से अनुबंध कंट्रेक्ट हैं?

हम जान चुके हैं कि प्रत्येक वादा या वादों का समूह जिस का कोई प्रतिफल होता है वह् अनुबंध होता है और कानून के द्वारा लागू कराए जाने योग्य अनुबंध कंट्रेक्ट होते हैं। लेकिन इस बात की परख कैसे हो कि कोई अनुबंध कानून के द्वारा लागू कराए जाने योग्य है? अब हम यही जानने जा रहे हैं….

कौन से अनुबंध कंट्रेक्ट हैं?

वे सभी अनुबंध जो किसी वैध प्रतिफल और वैध लक्ष्य के लिए, कंट्रेक्ट करने में सक्षम पक्षकारों द्वारा स्वतंत्र सहमति से संपन्न किए गए हों, और कंट्रेक्ट कानून में शून्य घोषित न किए गए हों कंट्रेक्ट होते हैं।

है न, चक्करदार बात? अब आप को ये सारी बातें भी जाननी पड़ेंगी कि-

  1. कौन से पक्षकार कंट्रेक्ट करने में सक्षम और अक्षम हो सकते हैं?
  2. स्वतंत्र सहमति का क्या अर्थ है? और
  3. कंट्रेक्ट कानून में कौन से कंट्रेक्ट स्पष्ट रूप से शून्य घोषित किए गए हैं?
  4. वैध और अवैध प्रतिफल और लक्ष्य क्या हैं?

कंट्रेक्ट कानून में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कंट्रेक्ट कानून से किसी भी अन्य कानून में किया गया कोई भी विशेष प्रावधान प्रभावित नहीं होगा; और किन्हीं खास कंट्रेक्ट के लिए अन्य कानूनों द्वारा किए गए ऐसे प्रावधान जिन के द्वारा किसी विशेष कंट्रेक्ट को लिखित में होना, गवाहों की उपस्थिति में होना या रजिस्ट्रीकृत होना जरूरी कर दिया गया हो प्रभावित नहीं होगा। जैसे किसी अचल संपत्ति जैसे मकान, खेत, दुकान आदि को ह्स्तातंरित करने का कंट्रेक्ट लिखित में होना, गवाहों की मौजूदगी में होना तथा रजिस्टरीकृत होना रजिस्ट्रेशन अधिनियम द्वारा जरूरी किया गया है, तो कंट्रेक्ट कानून के प्रावधानों का सहारा ले कर उन प्रावधानों को बेकार सिद्ध नहीं किया जा सकता।

इस का सीधा-सीधा अर्थ यही है कि कंट्रेक्ट कानून सामान्य परिप्रेक्ष्य में कंट्रेक्ट को शासित करता है किन्तु किन्हीं खास प्रकार के कंट्रेक्टों के लिए किसी अन्य कानून ने कुछ और भी औपचारिकताएँ निर्धारित की हैं तो वे अतिरिक्त रूप से करना आवश्यक है। (धारा-10)

कंट्रेक्ट करने में कौन सक्षम है?

प्रत्येक व्यक्ति जो उस कानून के अनुसार जिस से वह शासित होता है वयस्क (सामान्य रूप से 18 वर्ष से अधिक की आयु का) हो, और जो कंट्रेक्ट करने के उद्देश्य से स्वस्थ चित्त हो, और जिस कानून के अंतर्गत कंट्रेक्ट किया जा रहा है उस के द्वारा अयोग्य घोषित नहीं कर दिया गया हो।

वयस्कता- यहाँ वयस्क होने के सम्बन्ध में जो प्रावधान है वह प्रत्येक व्यक्ति की नागरिकता और व्यक्तिगत कानून पर निर्भर करता है। जैसे कुछ देशों के कानून के अनुसार नागरिक 21 वर्ष का होने तक अवयस्क है तो उस देश का नागरिक इस आयु को प्राप्त करने के पूर्व कोई कंट्रेक्ट करने में सक्षम नहीं माना जाएगा।

कानून द्वारा घोषित अयोग्यता- यदि किसी कानून द्वारा कोई व्यक्ति किसी प्रकार का कंट्रेक्ट करने के अयोग्य घोषित कर दिया गया हो तो वह व्यक्ति उस प्रकार का कोई कंट्रेक्ट नहीं कर सकता। जैसे किसी जैसे किसी कानून के अंतर्गत किसी व्यक्ति पर उस की समस्त अथवा किसी विशेष संपत्ति को विक्रय करने पर पाबंदी लगा दी गई हो तो वह व्यक्ति ऐसी संपत्ति को विक्रय करने का कंट्रेक्ट नहीं कर सकता, और करता है तो वह कंट्रेक्ट अवैध होगा। किसी पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे के समय उस संपत्ति के विक्रय हेतु पक्षकारों पर न्यायालय द्वारा पाबंदी लगा दी जाती है तो उस मुकदमे के पक्षकार अथवा कोई भी पक्षकार उस संपत्ति को विक्रय करने का कंट्रेक्ट नहीं कर सकता जो उस मुकदमें में विवादित है।

स्वस्थ चित्त- स्वस्थ चित्त का अर्थ है जो व्यक्ति अपना भला-बुरा सोचने में सक्षम हो। इस का सीधा अर्थ यह है कि विकृतचित्त, पागल व्यक्ति किसी प्रकार का कोई कंट्रेक्ट करने में सक्षम नहीं है। पर अगर कोई कंट्रेक्ट कर लिया गया है, और उसे कानून के समक्ष इस आधार पर चुनौती दी गई है कि उसे कंट्रेक्ट को करने वाला स्वस्थ चित्त नहीं था, तो साक्ष्य कानून के अनुसार यह बात उसी व्यक्ति को साबित करनी होगी जो इस आधार पर उस कंट्रेक्ट को चुनौती दे रहा है। इसी तरह इस नियम का एक अपवाद यह भी है कि कोई व्यक्ति अस्वस्थ होने के कारण अपनी संपत्ति हस्तातंरित करने का कंट्रेक्ट नहीं कर सकता है। लेकिन संपत्ति प्राप्त करने के कंट्रेक्ट पर यह बात प्रभावी नहीं होगी क्यों कि वह उस मामले में अस्वस्थ चित्त व्यक्ति की कोई सक्रिय भूमिका ही नहीं है। (धारा-11)

 

स्वस्थ चित्तता के मामले में विस्तार से हम अगले आलेख में बात करेंगे।

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