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बदला सिद्धि-भार तो हारा फर्जी दत्तक-पुत्र

राजस्थान उच्च न्यायालय ने 1970 में जो मुकदमा निर्णीत किया वह एक गोदनामे पर आधारित था। गोदनामा एक विशेष प्रकार का कंट्रेक्ट ही होता है, जो गोद लेने और देने वालों के मध्य संपन्न होता है। सामान्य कंट्रेक्ट के अतिरिक्त, इस कंट्रेक्ट में कुछ कानूनी बाध्यताएँ और भी होती हैं, जिन का पालन किया जाना जरूरी होता है। जिन के बिना कंट्रेक्ट शून्य हो सकता है। गोदनामा एक अलग विषय है, जिस पर पूरा एक कानून बना हुआ है। अभी हम स्वस्थ और अस्वस्थ चित्त के बारे में ही बात करेंगे।

ऑल इंडिया रिपोर्टर के राजस्थान खंड 1970 के पृष्ठ 190 पर प्रकाशित निर्णय के इस मुकदमे ‘श्रीमती गोपी व अन्य बनाम मदन लाल’ में मदन लाल ने वाद प्रस्तुत किया था। उस का कथन था कि वह एक गोद लिया हुआ पुत्र है और उसे गोद लेने वाले पिता संम्पत्ति में उत्तराधिकार के कानून के अनुसार उस का उतना ही हिस्सा है जितना कि औरस पुत्र का होता। मदन लाल ने अपने दावे के समर्थन में एक गोदनामा अदालत में प्रस्तुत किया। उस के इस दावे को शिवचंद द्वारा चुनौती दी गई, जिस का आधार यह था कि जिस समय यह गोदनामा निष्पादित किया गया था उस समय उसे गोद लेने वाले पिता अस्वस्थ-चित्त (unsound mind) थे जिस के कारण यह गोदनामा एक शून्य कंट्रेक्ट है, जिस का कानून की दृष्टि में कोई मूल्य नहीं है।

मदन लाल ने गोदनामे को गवाहों के बयानों के द्वारा प्रमाणित कराया और गोदनामा प्रमाणित सिद्ध हो गया। अब क्यों कि शिवचंद ने यह कथन किया था कि गोदनामा लिखने वाला व्यक्ति अस्वस्थ चित्त था और अपने हित-अहित का निर्णय कर सकने में सक्षम नहीं था, तो इस कथन को साबित करने का भार भी शिवचंद पर ही था। शिवचंद ने अपनी और से न्यायालय का एक आदेश प्रस्तुत किया और गवाहों द्वारा उसे प्रमाणित कराया। इस आदेश में न्यायालय ने गोद लेने वाले पिता को अस्वस्थ-चित्त घोषित करते हुए उन के सभी मामलात को देखने के लिए एक संरक्षक नियुक्त किया था। यह आदेश गोदनामा निष्पादित किए जाने के पूर्व की तिथि को दिया जा चुका था।

न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि गोदनामा निर्विवाद रूप से प्रमाणित सिद्ध हो चुका है और प्रतिवादी शिवचंद ने न्यायालय द्वारा संरक्षक नियुक्त किए जाने के सम्बन्ध में एक निर्णय अवश्य प्रस्तुत किया है, लेकिन इस तरह की कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की है जिस से यह साबित हो सके कि गोदनामा निष्पादित किए जाते समय निष्पादक अस्वस्थ चित्त था। सामान्य अवधारणा के अनुसार कि किसी भी कंट्रेक्ट का निष्पादक स्वस्थ-चित्त ही माना जाएगा, जब तक कि विपरीत रूप से सिद्ध न कर दिया जाए। इस कारण से मदन लाल को दत्तक पुत्र घोषित किया जाता है।

इस निर्णय को शिवचंद के उत्तराधिकारियों ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपील प्रस्तुत करते हुए चुनौती दी। चुनौती का आधार यह था कि चूंकि एक न्यायालय ने यह मानते हुए कि गोदनामे का निष्पादक अस्वस्थ-चित्त है उस के लिए संरक्षक नियुक्त किया हुआ था। इस कारण से प्रतिवादी तो यह सिद्ध करने के भार से मुक्त हो चुका था कि गोदनामे का निष्पादक अस्वस्थ-चित्त था। इस कारण से यह सिद्ध करने का भार मदन लाल का ही था कि गोदनामे का निष्पादक उस के निष्पादन के समय स्वस्थ-चित्त था और स्वयं के हित-अहित के सम्बन्ध में निर्णय करने में सक्षम था।

राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपील में अधीनस्थ न्यायालय के निर्णय को उलटते हुए इस तर्क को सही बताया कि सिद्धि भार परिवर्तित हो गया था, जिस के कारण निष्पादक को स्वस्थ चित्त घोषित करने का भार मदन लाल पर था, लेकिन वह इसे सिध्द नहीं कर सका और उसे दत्तक पुत्र नहीं माना जा सकता है।

इस मामले में अन्य पूर्व निर्णयों का उल्लेख करते हुए अनेक कानूनी बिन्दुओं का भी निर्धारण किया गया था। लेकिन वे यहाँ हमारे विषय के बाहर के बिन्दु हैं। मैं यहाँ इतना कहना चाहूँगा कि यह नियम यही है कि जो पक्ष कंट्रेक्ट के विलेख को निष्पादक की अस्वस्थ-चित्तता के आधार पर चुनौती देगा वही निष्पादक की अस्वस्थ-चित्तता को साबित भी करेगा, क्यों कि यह कथन उस ने किया था। लेकिन साक्ष्य के कानून के अनुसार जब एक बार एक व्यक्ति को सामान्य रूप से अस्वस्थ चित्त घोषित किया जाना सिद्ध कर दिया गया है, तो सिद्धि भार कि निष्पादक स्वस्थ-चित्त था, वापस उसी व्यक्ति पर होगा जो कंट्रेक्ट के आधार पर न्यायालय से राहत चाहता है।

तीसरा खंबा के अगले आलेख में हम पुनः कंट्रेक्ट कानून को समझने के आगे चलेंगे।

विगत आलेख पर अनुराग, डा० अमर कुमारmasijeevi, अभिषेक ओझा, लोकेश, महेंद्र मिश्रा और Mired Mirage की घुघूती बासूती की टिप्पणियाँ मिलीं, धन्यवाद!

@ masijeevi– हाँ, भाई। यदि अभियुक्‍त किसी अपराध के स्‍थान पर था, ये अभियोजन पक्ष तब उसे केवल यही सिद्ध नहीं करना पड़ेगा, अपितु पूरा अपराध घटित होना संदेह से परे सिद्ध करना पड़ेगा।

@Mired Mirage घुघूती बासूती- आप को जब भी जरूरत पड़े सवाल भेजिएगा, उत्तर मिलेगा और अन्य को उत्तर का पूरा लाभ भी।

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