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कंट्रेक्ट के संबंध में 'कपट' क्या है ?

अपनी उपस्थिति से स्वतंत्र सहमति को दूषित करने वाले तीसरे कारक ‘कपट’ अर्थात् (fraud) को भारतीय कंट्रेक्ट कानून में परिभाषित किया गया है। उस की परिभाषा इस तरह है…

कपट- किसी पक्ष द्वारा कंट्रेक्ट के लिए स्वयं या अपने अभिकर्ता (एजेण्ट) के जरिए अन्य पक्षकार या उस के अभिकर्ता के साथ उसे धोखा देने और उसे कंट्रेक्ट में शामिल करने के उद्देश्य से किए गए निम्न कृत्य और मौन (चुप्पी) का अर्थ हैं, और उस में शामिल हैं ….

(I) कोई ऐसा तथ्य सुझाना जिस के सत्य होने पर उसे स्वयं विश्वास न हो;

(II) किसी तथ्य को उस का ज्ञान होने और उस पर विश्वास होने पर भी छुपाना;

(III) ऐसा वचन देना जिसे पूरा करने का कोई इरादा ही नहीं हो;

(IV) धोखा देने वाला कोई भी काम:

(V) ऐसा को भी कृत्य अथवा अकृत्य जिसे कानून द्वारा कपट घोषित किया हो।

स्पष्टीकरण- यहाँ वर्णित परिभाषा के अनुसार किसी व्यक्ति के मौन रहने या किसी तथ्य के बारे में चुप रहना भी कपट हो सकता है, लेकिन उन्हीं परिस्थितियों में जब कि किसी तथ्य के बारे में बोलना या बताना उस व्यक्ति का कर्तव्य हो या फिर मौन रहना बोलने के समान हो जाए। अन्यथा परिस्थितियों में मौन या चुप रहने को कपट नहीं माना जाएगा।

उदाहरण-

(क) करण करुणा को एक घोड़ा बेचता है जिस के बारे में वह जानता है कि घोड़ा ऐबदार है। करण घोड़े के बारे में करुणा को कुछ नहीं कहता। यह मौन कपट नहीं कहलाएगा।

(ख) ऊपर वाले मामले में करुणा करण की बेटी है जो अभी वयस्क हुई ही है। अब दोनों के बीच संबंधों के कारण करण का कर्तव्य है कि वह घोड़े की ऐब के बारे में उसे बताए। यदि करण फिर भी उसे घोड़े के ऐबदार होने के बारे में मौन रह कर उसे करुणा को बेच देता है, तो वह कपट करता है।

(ग) करण से करुणा कहती है कि यदि आप ने कुछ भी नहीं कहा तो मैं मान लूंगी कि घोड़े में कोई ऐब नहीं है। करण चुप रहता है। यहाँ करण का चुप रहना उस के बोलने के समान है। वह बिना एब के बारे में बताए करुणा को घोड़ा बेचता है तो कपट करता है।

(घ) करण और करुणा दोनों ही व्यापारी हैं, और आपस में कन्ट्रेक्ट करते हैं। करण के पास आप सी व्यापार की वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तन आने के बारे में ऐसी जानकारी है जिस के पता लगने पर कुरुणा की सहमति पर प्रभाव पड़ेगा। करण करुणा को ऐसी जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं है।

इस तरह हम पाते हैं कि धोखा करने के उद्देश्य से किसी गलत तथ्य को बता कर कोई कंट्रेक्ट करना, और किसी तथ्य को बताने का दायित्व होते हुए भी उसे छुपा कर, या न बता कर कंट्रेक्ट करना कपट है।  इस के अलावा  कोई ऐसा वादा करना जिसे पूरा करने का कोई इरादा ही नहीं हो, धोखा देने वाला कोई भी काम करना और कानून द्वारा कपट घोषित किए गए कृत्य को करना या अकृत्य कपट हैं। (धारा-17)

अगली कड़ी में हम इस परिभाषा की व्याख्या करने का प्रयत्न करेंगे।

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