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कंट्रेक्ट के वैध-अवैध उद्देश्य और प्रतिफल

ज हम जानेंगे कि कौन से उद्देश्य या प्रतिफल कानूनी हैं, जिन के कानूनी न होने के कारण कोई भी कंट्रेक्ट शून्य हो सकता है…….

किसी भी अनुबंध का उद्देश्य या प्रतिफल कानूनी हैं जब तक कि …

  • उसे कानून द्वारा निषिद्ध नहीं कर दिया गया हो; या
  • उस की प्रकृति ऐसी हो कि अनुमत होने पर वह कानून के किसी प्रावधान को विफल कर देगा; या
  • वह कपटपूर्ण हो; या
  • उस में किसी व्यक्ति के शरीर या संपत्ति की हानि होना शामिल या निश्चित हो; या
  • न्यायालय उसे लोकनीति के विरुद्ध माने।

इन में से प्रत्येक दशा में प्रतिफल और उद्देश्य को गैर कानूनी कहा जाएगा। प्रत्येक अनुबंध जिस का प्रतिफल या उद्देश्य गैरकानूनी है वह शून्य माना जाएगा।

इस तरह हम देखते हैं कि उक्त पांच परिस्थितियों में, अर्थात जब किसी अनुबंध का उद्देश्य कानून द्वारा निषिद्ध हो, वह प्रकृति में ऐसा हो कि यदि उसे सम्पन्न होने की अनुमति दे दी जाए तो वह कानून के किसी प्रावधान को असफल करता हो, या जिस में कपट हो, या जिस से किसी व्यक्ति की संपत्ति को या उस के शरीर को हानि होनी हो, या जिसे न्यायालय लोकनीति के विरुद्ध माने वह अनुबंध शून्य माना जाएगा।

जैसे….

(क) क अपना घर 10,000 रुपयों में ख को बेचने का अनुबंध करता है। यहाँ 10,000 रुपए देने का ख का वादा, घर बेचने के क के वादे, के लिए प्रतिफल है और घर बेचने का क का वादा, ख के 10,000 रुपए देने के वचन के लिए प्रतिफल है। ये दोनों ही विधिपूर्ण प्रतिफल हैं।

(ख) ग ने जिसे ख को 1000 रुपए देना है, क यह वादा (गारंटी) करता है कि यदि ख को यह राशि लौटाने में ग असफल रहता है तो वह छह माह बीतते ही ख को 1000 रुपए देगा। ख इस के बदले ग को समय देने का वादा करता है, यहाँ हर किसी का वादा एक दूसरे के वादे के लिए प्रतिफल है।

(ग) क द्वारा ख को दी गई राशि के बदले ख उस से वादा करता है कि यदि क का जहाज किसी खास समुद्र यात्रा में नष्ट हो जाए तो वह उस के जहाज के मूल्य की भरपाई करेगा। यहाँ ख का वादा क द्वारा दी गई राशि का प्रतिफल है और और क द्वारा दी गई राशि भरपाई के वादे के लिए प्रतिफल है, और ये दोनों विधिपूर्ण प्रतिफल हैं।

(घ) क वादा करता है कि वह ख के पुत्र का भरण पोषण करेगा और ख इस काम के लिए उसे प्रतिमाह 1000 रुपये का भुगतान करने का वादा करता है। यहां दोनों के वचन एक दूसरे के लिए प्रतिफल हैं और विधिपूर्ण प्रतिफल हैं।

(ङ) क, ख और ग सामूहिक रूप से कपट द्वारा कमाए गए या कमाए जाने वाले लाभों को आपस में बाँटने के कंट्रेक्ट करते हैं। यह कंट्रेक्ट शून्य है क्यों कि उस का उद्देश्य विधिविरुद्ध है।

(च) क वचन देता है कि वह ख को सरकारी नौकरी पर रखवा देगा। ख इस के लिए क को 10000 रुपए देता है। यह कंट्रेक्ट शून्य है क्यों कि उस का प्रतिफल विधिविरुद्ध है।

(छ) क जो एक एजेण्ट है, ख को वचन देता है कि वह अपने मालिक की भूमि उसे पट्टे पर दिला देगा लेकिन इस के लिए उसे क को निश्चित धनराशि देनी होगी। दोनों के बीच का यह कंट्रेक्ट शून्य है क्यों कि इस में भू-स्वामी से छिपा कर कपट किया गया है।

(ज) क यह वादा करता है कि वह ख पर चलाया गया लूट का मुकदमा वापस ले लेगा और ख यह कि वह क से लूटी गई सम्पत्तियों का मूल्य उसे वापस कर देगा। यहाँ दोनों के वादे एक दूसरे के लिए प्रतिफल हैं। लेकिन कंट्रेक्ट शून्य है क्यों कि उद्देश्य विधिविरुद्ध है।

(झ) क की संपत्ति कर नहीं चुका पाने के लिए नीलाम की जाती है, नियम है कि क खुद उस नीलाम में खरीददार नहीं हो सकता। क के साथ कंट्रेक्ट कर के ख वहां खरीददार बन जाता है और क से वादा करता है कि वह क से नीलामी की रकम मिल जाने पर नीलामी में खरीदी गई संपत्ति क को हस्तांतरित कर देगा। यह करार शून्य है क्यों कि यह कानून के उद्देश्य को विफल करने के लिए किया गया है।

(ञ) क जो कि ख का मुख्तार है ग से वादा करता है कि वह ग का काम कराने के लिए अपनी हैसियत का उपयोग करेगा, ग इस के लिए क को 1000 रुपए देने का वादा करता है। यह करार शून्य है, क्यों कि यह अनैतिक है।

(ट) क उस की पुत्री को ख के पास उपपत्नी के रूप में रखे जाने के लिए ख के साथ भेजने का करार करता है। करार शून्य है क्यों कि यह अनैतिक है, चाहे वह किसी कानून के अंतर्गत दण्डनीय अपराध नहीं हो।(धारा-23)

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