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गैरकानूनी उद्देश्यों व प्रतिफल के कारण शून्य कंट्रेक्ट

पिछले आलेख कंट्रेक्ट के वैध-अवैध उद्देश्य और प्रतिफल पर ज्ञान जी की टिप्पणी थी…
… मैं तो दो बार पढ़ गया। पर लगता है अब भी मन एकाग्र होने में नहीं आया है, समय लगेगा।

वस्तुतः ज्ञान जी की एकाग्रता में कोई कमी नहीं है। पिछले आलेख में ऐसा कुछ नहीं था, जिस पर एकाग्र हुआ जाता। कंट्रेक्ट कानून की धारा 23 को ज्यों का त्यों उतार दिया गया था। वास्तव में धारा-24 ही उसे काम का बनाती है जो कहती है…

 

यदि किसी अनुबंध के उद्देश्य और प्रतिफल आंशिक रूप से भी गैर-कानूनी हुए तो कंट्रेक्ट शून्य होगा –

यदि एक या अधिक उद्देश्यों के लिए किसी एकल प्रतिफल का कोई अंश, या किसी एक उद्देश्य के लिए एक या अधिक प्रतिफलों में से कोई एक या उस का कोई अंश गैर-कानूनी हो तो कंट्रेक्ट शून्य होगा।

जैसे…. 

नील के वैध निर्माण का, और अन्य वस्तुओँ से गैरकानूनी व्यापार का की ओर से देखरेख करने का वादा करता है। 10,000 रुपए प्रतिवर्ष वेतन देने का वादा करता है। यह कंट्रेक्ट शून्य है क्यों कि के वादों का उद्देश्य और के वादे का लिए प्रतिफल अंशतः गैर कानूनी है। (धारा-24)

धारा-23 में वर्णित कानूनी-गैरकानूनी उद्देश्य किसी भी कंट्रेक्ट के शून्य होने या न होने को विस्तार देते हैं। वास्तव में यह धारा-24 के साथ मिल कर कंट्रेक्ट करने की व्यक्तियों की आजादी को सीमित करती है। इन प्रावधानों का उद्देश्य लोकनीति के विरुद्ध होने वाले कंट्रेक्टों को होने से रोकना है। हम इस विस्तार को अनेक श्रेणियों में बांट सकते हैं।

कानून द्वारा निषेध- यदि किसी उद्देश्य को या प्रतिफल को कानून ने निषिद्ध कर दिया हो तो अंशतः भी वह किसी कंट्रेक्ट में उपस्थित रहने पर कंट्रेक्ट शून्य हो जाएगा। जैसे किसी इंजिनियर से आप इंजिनियरिंग सेवाएँ प्राप्त करने के लिए अनुबंध करते हैं, जब कि वह ऐसे कानून के अंतर्गत पंजीकृत नहीं है जिस में पंजीकरण के बिना वह इंजिनियरिंग सेवाएँ नहीं दे सकता तो यह कंट्रेक्ट शून्य होगा।

कानून के किसी प्रावधान को निष्फल करता हो- यदि कोई उद्देश्य या प्रतिफल कानून के किसी प्रावधान को विफल कर रहा हो तो उस के कारण भी कंट्रेक्ट शून्य हो जाएगा। जैसे किसी व्यक्ति को उस के बेटे या बेटी के ब्याह के लिए दिए गए ऋण का अनुबंध शून्य है यदि उस का बेटा या बेटी शादी के लिए कानून द्वारा निर्धारित उम्र से कम उम्र का है। क्यों कि इस से बालविवाह को रोकने के कानून के प्रावधान विफल हो जाएंगे।

कानून के प्रावधानों का अर्थ व्यक्तिगत कानून भी है- इस प्रावधान के विस्तार में हिन्दू व्यक्तिगत कानून, मुस्लिम व्यक्तिगत कानून और दूसरे व्यक्तिगत कानून जिन्हें कानून की मान्यता प्राप्त है वे भी सम्मिलित हैं। जैसे कोई हिन्दू किसी महिला का पत्नी की तरह भरण-पोषण करने का वादा करता है, तो यह शून्य कंट्रेक्ट होगा। क्यों कि यह हिन्दू कानून की भावना के विपरीत होगा। एक हिन्दू द्वारा विवाह के रहते दूसरा विवाह करने का कंट्रेक्ट शून्य होगा। एक गैर-मुस्लिम द्वारा मस्ज़िद के लिए संपत्ति वक्फ करने का कंट्रेक्ट शून्य होगा। लेकिन एक मुस्लिम पुरुष द्वारा स्त्री से यह कंट्रेक्ट करना कि वह उस के साथ विवाह होने पर वैवाहिक जीवन काल में दूसरा विवाह नहीं करेगा एक कानूनी कंट्रेक्ट है, क्यों कि यह न तो अनैतिक है, और न ही लोक-नीति के विरुद्ध है।

व्यक्ति या उस की संपत्ति को हानि- यदि सरकार किसी कंट्रेक्टर से सड़क निर्माण का कंट्रेक्ट करती है जिस से किसी व्यक्ति की संपत्ति को हानि पहुँचती है तो वह कंट्रेक्ट शून्य होगा। यदि कोई व्यक्ति किसी को अपमानित करने या शारिरिक चोट पहुँचाने के लिए कोई कंट्रेक्ट करता है तो यह शून्य होगा।

अनैतिक अनुबंध- इस मामले में उच्चतम न्यायालय स्पष्ट कर चुका है कि यहाँ अनैतिकता का अर्थ केवल यौन अनैतिकता है। जैसे किसी व्यक्ति को कुछ भूमि हस्तांतरित करने का वादा किया जाता है कि वह अपनी शादीशुदा बेटी को किसी दूसरे पुरुष के साथ रहने को भेजेगा। तो यह कंट्रेक्ट अनैतिक होने के कारण शून्य होगा। इसी तरह चकला चलाने के लिए किराए पर मकान देने का कंट्रेक्ट भी शून्य होगा।

लोकनीति के विरुद्ध अनुबंध- लोकनीति की कोई स्वीकृत परिभाषा नहीं है। लेकिन अदालतें इन की परीक्षा कर सकती हैं और लोकनीति के विरुद्ध पाए जाने पर कंट्रेक्ट को शून्य घोषित कर सकती हैं। जैसे मेडीकल या किसी भी अध्ययन में प्रवेश के वादे लिए धन देना, किसी जज से अपने हक में फैसला कराने के लिए किसी से धन लेने का कंट्रेक्ट चाहे जज उस में शामिल हो या न हो, पति-पत्नी के बीच निरंतर झगड़ों के कारण पत्नी व बच्चों के अलग रहने और उन के भरण पोषण हेतु निश्चित राशि अदा करने का वादा, सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन से कम वेतन देने का अनुबंध आदि इस श्रेणी के कंट्रेक्ट हैं जो शून्य हैं।

फौजदारी मुकदमा न चलाने का अनुबंध- कोई भी ऐसा अनुबंध जिस में किसी प्रतिफल के लिए ऐसा फौजदारी मुकदमा नहीं चलाने का वादा किया गया हो जिस में समझौते का कोई प्रावधान नहीं है शून्य है, क्यों कि यह लोकनीति के विरुद्ध होगा। किसी महिला के अपहरण के मुकदमे को वापस करने के लिए उसे मुआवजा देने का कंट्रेक्ट शून्य है। ग़बन के किसी शिकायत कर्ता के पक्ष में पुलिस द्वारा ग़बन की गई राशि या अन्य किसी राशि का प्रोमिसरी नोट लिखवा कर शिकायत वापस लेने का अनुबंध शून्य है।

शादी के कंट्रेक्ट- किसी लड़की-या लड़के की शादी के लिए उस के पिता को धन देने का कंट्रेक्ट शून्य है। किसी शादी का संबंध कराने के लिए धन देने-लेने का कंट्रेक्ट शून्य है। किसी को पत्र आदि लिख कर शादी का वायदा करना और उस के साथ घूम-फिर कर लोगों के बीच यह प्रचारित कर देना कि उन की शादी होने वाली है एक वैध कंट्रेक्ट है, दूसरी स्त्री से विवाह कर लेने पर स्त्री को क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकार है।

गोद के कंट्रेक्ट- किसी महिला से यह अनुबंध करना कि वह कोई पुत्र गोद न लेगी। शून्य है। मासिक वृत्ति के लिए पुत्र को गोद देने का कंट्रेक्ट शून्य है।

जमानत जब्ती पर जुर्माने की राशि अदा करने का कंट्रेक्ट- इस तरह का कंट्रेक्ट लोकनीति के विरुद्ध होने से शून्य है। किसी व्यक्ति की जमानत देने के लिए धन लेने का कंट्रेक्ट शून्य है।

किसी लोक सेवक के साथ ऐसा कर्तव्य करने का कंट्रेक्ट जो उस के लोक सेवक का कर्तव्य करने में बाधक हो शून्य है।

किसी मुकदमे के निर्णय या डिक्री के निष्पादन में देरी करने के लिए प्रतिफल प्राप्त करने का कंट्रेक्ट शून्य है।

किसी वकील द्वारा मुकदमे के परिणाम पर आधारित फीस लेने का कंट्रेक्ट लोकनीति के विरुध्द होने के कारण शून्य है।

 

इस तरह अनेक प्रकार के कंट्रेक्ट हो सकते हैं। जिन्हें अदालत से शून्य घोषित कराया जा सकता है।

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