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सतरह साल से न्याय नहीं मिला फिर भी न्याय-प्रणाली पर विश्वास है।

 मुझे भी सतरह साल से न्याय नहीं मिला है। मेरे पिता के हत्यारों को आज तक सजा नहीं मिल पायी है। इस के लिए हमारे देश की न्याय प्रणाली दोषी है। लेकिन फिर भी मुझे उस पर भरोसा है।

यह बात राहुल गांधी कह सकते हैं और  लालकृष्ण अडवानी भी। क्यों कि वे जानते हैं कि दोष वास्तव में न्यायप्रणाली का नहीं है। उस के आकार को सुखा देने वाली सरकारों का है जिन में वे भागीदारी कर चुके हैं तथा कर रहे हैं।

संसद हमले के दोषी अफ़ज़ल गुरु को फांसी देने में हो रही देरी पर सरकार पर हो रहे हमले के जवाब में राहुल गांधी ने कही है कि मेरेपिता की हत्या के 17 साल बाद भी हमें न्याय नहीं मिला है। राहुल से एक छात्र ने पूछा था कि अफज़ल को अब तक फांसी क्यों नहीं दी गई। राहुल ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषियों को नहीं दी गई मौत की सज़ा के लिए देश की न्याय प्रणाली को दोषी ठहराया।

राहुल ने एच. एन. बहुगुणा विश्वविद्यालय में छात्रों के सामने कहा कि मेरे पिता प्रधानमंत्री थे, मेरी दादी भी प्रधानमंत्री थीं लेकिन मुझे इन्साफ नहीं मिला। मेरे पिता बम हमले में मारे गए। उसमें 40 लोग शामिल थे। इस बात को 17 साल हो गए लेकिन अब तक भी कोई सज़ा नहीं दी गई है।कांग्रेस महासचिव ने कहा कि सवाल यह नहीं है कि अफज़ल को फांसी क्यों नहीं दी गई। हमारी न्याय प्रणाली काफी धीमी है। राहुल ने यह भी कहा कि इसके लिए भारत की न्याय प्रणाली को दोषी है, लेकिन मुझे न्यायपालिका में भरोसा है।

जरा सोचिए कि न्याय प्रणाली धीमी क्यों है? जब खाना पकाने वाला एक होगा और खाने वाले बहुत सारे तो यही होने वाला है। क्यों नहीं अदालतों की संख्या बढ़ाई जा रही है? क्यों नहीं जजों की संख्या बढ़ाई जा रही है? क्यों कि न्याय होने लगा तो सब से बड़ा असर राजनीति पर ही पड़ेगा। जितने भी अण्ट-शण्ट काम हैं उन पर रोक लगेगी।

आप सोचें या न सोचें अब जनता को जब बरसों न्याय नहीं मिलता तो वह सोचती है। लालकृष्ण अडवानी घोषणा कर चुके हैं कि वे न्याय पालिका पर होने वाले खर्च को हर साल बढ़ाएँगे और पांच साल में पाँच गुना कर देंगे।   जरा आप भी अपने दल की ओर से कुछ तो घोषणा कर दीजिए कि आप के दल की सरकार आने पर न्याय प्रणाली के सुधार के लिए आप क्या कर रहे हैं। जरा जल्दी सोचिए। कही ऐसा न हो कि आप को सोचने में देर हो जाए और चुनाव सर पर आ जाएँ।

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