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निर्वाचन अपराध क्या हैं? (3) निर्वाचनों में प्रतिरूपण

कल हमने भा.दं.सं. की धारा 171ग के अन्तर्गत निर्वाचनों में अनुचित प्रभाव डालने से संबंधित अपराध के बारे में जाना।  जिस में प्रत्यर्थी और मतदाता और उन से हितबद्ध किसी व्यक्ति नुकसान पहुँचाने की धमकी देने और उसे दैवीय कोप या आध्यात्मिक बदनामी का भाजन बनने का विश्वास दिलाने को अपराध बताया गया था।  आज हम भा.दं.सं. की धारा 171घ के बारे में जानेंगे।

भा.दं.सं. की धारा 171घ. निर्वाचनों में प्रतिरूपण-
जो कोई किसी निर्वाचन में किसी अन्य व्यक्ति के नाम से, चाहे वह जीवित हो या मृत, या किसी कल्पित नाम से, मत-पत्र के लिए आवेदन करता है या मत देता है, या ऐसे निर्वाचन में एक बार मत दे चुकने के पश्चात उसी निर्वाचन में अपने नाम से मत-पत्र आवेदन करता है,और कोई किसी व्यक्ति द्वारा किसी ऐसे प्रकार से मतदान को दुष्प्रेरित करता है, अर्जित करता है या अर्जित करने का प्रयत्न करता है वह निर्वाचन में प्रतिरूपण का अपराध करता है।



 परन्तु, एक व्यक्ति को जो एक मतदाता के लिए प्रतिनिधि के रूप में मतदान करने के लिए प्राधिकृत किया गया ह, तत्समय में प्रवृत्त होने के कारण किसी कानून के अधीन जहाँ तक कि वह एक प्रतिनिधि के रूप में ऐसे मतदाता के लिए मतदान करता है उस पर इस धारा का कुछ भी लागू न होगा।

अंग्रेजी पाठ

Section 171D. Personation at elections

    Whoever at an election applies for a voting paper or votes in the name of any other person, whether living or dead, or in a fictitious name, or who having voted once at such election applies at the same election for a voting paper in his own name, and whoever abets, procures or attempts to procure the voting by any person in any such way, commits the offence or personation at an election.

  Provided that nothing in this section shall apply to a person who has been authorised to vote as proxy for an elector under any law for the time being in force in so far as he votes as a proxy for such elector.

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