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चुनाव के बहाने – अपने ब्लॉग के सेल्फ प्रमोशन की कोशिश

आप ने पिछले चार आलेखों में निर्वाचन अपराधों के बारे में जाना। हो सकता है इन्हें पढ़कर आप में से अनेक ने यह सोचा हो कि आप को इस जानकारी से क्या लेना देना? आप थोड़े ही चुनाव  लड़ रहे हैं? इन की जानकारी तो उन्हें होनी चाहिए जो चुनाव लड़ रहें हैं या फिर उम्मीदवारों का प्रचार कर रहे हैं।  लेकिन उन लोगों को तो इस तरह की जानकारी पहले से होती है।  वे तो इन अपराधों को जानबूझ कर इस तरह करते हैं कि अपना मतलब भी हल कर लें और इन में फँसने से भी बचे रहें।

जब से चुनाव की दुंदुभी बजी है तभी से रोज अखबारों में खबरें आ रही हैं कि फलाँ नेता ने चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया।  सारे राजनैतिक दलों की फौजी टुकड़ियों में से एक इसी काम में लगी है कि किस तरह से विपक्षी द्वारा की जा रही चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की घटनाओं के सबूत इकट्ठे किए जाएँ?  फिर चुनाव आयोग को उस की शिकायत की जाए, और फिर उस का प्रचार में इस्तेमाल किया जाए।  यह भी खबर है कि मंदी के इस दौर में भी देश की नामी गिरामी जासूसी एजेंसियाँ इस काम से खूब कमाई कर रही हैं।  यह भी हो सकता है कि एक ऐजेंसी की ही विभिन्न टीमें एक ही क्षेत्र के विपक्षी उम्मीदवारों के लिए काम कर रही हों।  इधर से भी कमाई और उधर से भी कमाई। चलिये कुछ स्किल्ड लोगों को कुछ दिन के लिए रोजगार मिला।

लेकिन यह सब धंधा जो चल रहा है,  आप को रिझाने और नाराज करने के लिए किया जा रहा है। जैसे कोई लाइव कम्पीटीशन हो रहा हो।  आप के वोट से ही यह निर्णय होना हो कि अच्छे और सब से घटिया रिझाउना कौन है? इस काम में कौन सी पार्टी या उम्मीदवार खरा उतरा।  लेकिन इतना होने पर भी आप हैं कि चुपचाप तमाशा देखे जा रहें हैं।  जरा कानूनी जानकारी हासिल कर लीजिए।  जिस से आप जान सकें कि आचार संहिता का उल्लंघन कौन कर रहा है? और कितना कर रहा है?  क्यों कि अखबार और मीडिया वाले जितना अपने चैनलों पर दिखा रहे हैं वे सब वास्तविक उल्लंघन नहीं हैं।  यह भी कि जितनी शिकायतें की जा रही हैं उतनी दर्ज भी नहीं हो रही हैं क्यों कि कोई प्रथम दृष्टया प्रकरण ही नहीं बनता है।

आप ने तीसरा खंबा की पिछली चारों कडि़याँ (1)  (2)  (3)  (4)  पढ़कर जान लिया होगा कि क्या क्या ऐसे अपराध हैं जो लोग कर रहे हैं?  इसे इसलिए भी जानना जरूरी है कि कहीं आप भावुकता में आ कर किसी उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करते समय दस रुपए से अधिक खर्च नहीं कर दें,  वरना आप पर भी मुकदमा चलाया जा सकता है  और सजा भी हो सकती है।  पर ज्यादा न घबराएँ ! इस की सजा  में जेल नहीं जाना पड़ेगा, जुरमाना भी पाँच सौ रुपए मात्र होगा।  यह भी हो सकता है कि बहुत से लोग हमारी विलम्बित न्याय व्यवस्था के कष्टों से बचने के लिए आरोप स्वीकार कर लें और पाँच सौ रुपया जुर्माना अदा कर जान छुड़ाएँ।  अभी तक यदि पिछली चारों कड़ियाँ न पढी़ हों, या कोई कड़ी छूट गई हो तो अब पढ़ लीजिए।  अभी तो चुनाव में बहुत समय है।  कुछ काम

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