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न्यायालय द्वारा जमानत न देने पर विचाराधीन बंदी को छुड़ाने के लिए सरकार के विरुद्ध आंदोलन न्यायालय की अवमानना नहीं

 महेश सिन्हा पूछते हैं …….

किसी विचाराधीन बंदी को अगर सुप्रीम कोर्ट ने भी अगर जमानत देने से इंकार किया हो और एक ग्रुप उस व्यक्ति को छुड़ाने के लिए जन आन्दोलन चलाये तो क्या ये अवमाननना नहीं है?

 उत्तर

महेश भाई,
आप का प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण है।  पिछले दिनों इस तरह का प्रश्न अनेक बार उठा है, लेकिन जवाब नदारद है।  कहीं से भी इस का उत्तर नहीं मिल सका है।  मेरे ज्ञान और अध्ययन के अनुसार इस तरह के आंदोलन से न्यायालय की किसी तरह की अवमानना नहीं होती।  जमानत एक ऐसा प्रश्न है जिस में न्यायालय केवल पुलिस की प्रारंभिक रिपोर्ट को देखती है और उस पर अपनी कोई भी प्रतिक्रिया नहीं करते हुए जमानत लेने या नहीं लेने का निर्णय करती है।  जमानत के उपरांत पुलिस को न्यायालय के समक्ष आरोप पत्र प्रस्तुत करना होता है।  फिर आरोपों का विचारण होता है तथा साक्ष्य के आधार पर निर्णय दिया जाता है।  इस पूरी प्रक्रिया के दौरान भी न्यायालय उचित समझे तो अभियुक्त को जमानत का लाभ दे सकता है।  लेकिन यदि अन्वेषण गलत रीति से हो रहा है, या पुलिस ने किसी व्यक्ति को द्वेष या राजनैतिक कारणों से फंसाया है, तो जो लोग ऐसा समझते हैं,  राज्य और पुलिस के विरुद्ध इस आधार पर अपनी मांग उठा सकते हैं और इस से न्यायालय की किसी प्रकार की अवमानना नहीं होती।

कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट में न्यायालय की अवमानना को दो हिस्सों में बांटा है। एक दीवानी अवमानना और दूसरी अपराधिक अवमानना
1. दीवानी अवमानना-  का अर्थ है,  इरादतन किसी निर्णय, डिक्री, निर्देश, आदेश, रिट या अन्य किसी प्रक्रिया की अवज्ञा करना या न्यायालय को दी गई अण्डरटेकिंग का इरादतन उल्लंघन करना।
इस का मूल आंग्ल पाठ निम्न प्रकार है….

‘Civil contempt’ means willful disobedience to any judgement, decree, direction, order, writ or other process of a court or willful breach of an undertaking given to a court.

2. अपराधिक अवमानना- का अर्थ है,
(लिखे गए या बोले गए शब्दों, य़ा संकेतों या दृश्य प्रस्तुतिकरण या अन्य रीति से। किसी मामले का प्रकाशन या कोई अन्य कोई  कृत्य जो-
क- किसी न्यायालय की अधिकारिता को स्केण्डलाइज करे या करने की कोशिश करे या कम करे; या
ख- न्यायालय की न्यायिक प्रक्रिया या कार्यवाही में किसी तरह का हस्तक्षेप करे या उसे प्रभावित करे; या
ग- किसी भी अन्य तरीके से न्याय प्रशासन को बाधित करे या बाधित करने का प्रयत्न करे या उस में हस्तक्षेप या करने का प्रयत्न करे।
इस का मूल आंग्ल पाठ निम्न प्रकार है…
‘Criminal contempt’ means the publication (whether by words, spoken or written, or by signs, or by visible representation, or otherwise) of any matter or the doing of any other act whatsoever which:

    (i) Scandalises or tends to scandalise, or lowers or tends to lower the authority of, any court, or
    (ii) Prejudices, or interferes or tends to interfere with the due course of any judicial proceeding, or
    (iii) Interferes or tends to interfere with, or obstructs or tends to obstruct, the administration of justice in any other manner.

पिछले दिनों ऐसा ही कुछ संदर्भ छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से मुझे मिला था। वहाँ डाक्टर बिनायक सेन एक वर्ष स

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