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विवाह के बाद पति-पत्नी के बीच के अधिकांश विवाद अविश्वास के हैं और कानूनी तरीके से निपटाए जाने के बजाए काउंसलिंग (समझाइश) से निपटाए जा सकते हैं

पिछले दिनों तीसरा खंबा को कानूनी सलाह के लिए  प्रश्न आए।  प्रश्न स्पष्ट नहीं थे। उन्हें स्पष्ट करने के लिए जब उन के पते पर मेल किए तो वे डिलीवर हुए बिना लौट आए।  फिर वही समस्या अनेक नामों  से कुछ तथ्यों में हेर फेर कर मेरे पास भेजी गई। इस पर मैं ने कानूनी सलाह चाहने वालों से एक विनम्र अनुरोध किया था। उस के बाद भी वैसी ही समस्या फिर एक नए नाम से आई है और कुछ दिन बाद फिर दोहराई गई है।  प्रश्नकर्ताओं से पुनः निवेदन है कि यदि उन की जैसी समस्या पर सलाह दे दी गई है तो उस का अवलोकन कर आगे का मार्ग तलाशने का प्रयत्न करें।  यहाँ जो सलाह दी जाती है उस का उद्देश्य जन शिक्षण और सही रास्ता बताना मात्र है। क्यों कि विशिष्ठ कानूनी समस्या का हल तो उन का विशिष्ठ वकील ही कर सकता है।  उन्हें अपनी बात अपने वकील से खुल कर करनी चाहिए। यदि उन्हें अपने वकील पर विश्वास नहीं है तो उसे बदल लेना चाहिए। यहाँ में अनेक नामों से तथ्यों के मामूली हेर फेर के साथ आई समस्या का उत्तर दे रहा हूँ। प्रश्नकर्ता अलग अलग हों तो भी इस उत्तर को पढ़ कर अपनी समस्या का निदान करने का प्रयत्न करें। 

प्रश्न –

मेरा नाम अ ब स कुमार  है, मेरी शादी 27 फरवरी 2009, को हुई।  शादी के तीसरे महिने से ही समस्या होना आरंभ हो गई। छोटी-छोटी बातें बड़ी बनने लगी,  मैने उसे काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, अब दो महिने से पत्नी अपने मायके में है, तीन-चार बार लेने गया। लेकिन नहीं आई, जब भी लेने जाता हूँ तो उस के परिवार वाले लड़ने झगड़ने लगते हैं। वह कहती है बीमार हूँ, जब ठीक हो जाऊंगी तब आ जाऊंगी।  जब कि वह सरकारी अस्पताल में इलाज करवाती है। मैं ने कभी भी प्राइवेट अस्पताल में उस के इलाज के लिए मना नहीं किया।  उस के पेट में रसौली है और जब भी वह गर्भवती हो जाती है तो अनवांटेड 72 खा लेती है। मेरे घर वालों से उस का व्यवहार कभी भी ठीक नहीं रहा। हमारे बीच झगड़ा हुआ है लेकिन इतना भी नहीं कि वह अपने घर चली जाए। उस की एक बड़ी बहिन है और जीजा भी है। मुझे पता है कि समस्या वही हैं। मैं ने उस से घर वालों से अलग रहने को भी कहा है लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, मेरे साथ भी नहीं आई।  

मैं कानून के माध्यम से किस प्रकार उसे अपने पास ला सकता हूँ?  क्या सारे कानून महिलाओं के लिए ही हैं? मेरे हक में भी कोई कानून है क्या? यदि वह तलाक का प्रस्ताव रखती है तो क्या मुझे खर्चा देना होगा? तलाक की प्रक्रिया क्या है? मेरे लिए भी उस का व्यवहार ठीक नहीं है क्या यह भी तलाक का कारण हो सकता है क्या? अदालत में उस के हाजिर न होने से तलाक मिल सकता है क्या? छह माह अलग रहने पर भी दहेज का केस बनेगा क्या? जब कि ऐसा कुछ नहीं था। दिमाग में बहुत से प्रश्न हैं।

एक अन्य प्रश्न में अपनी पत्नी पर अन्य व्यक्ति से अनुचित संबंध होने का भी उल्लेख किया है। एक ने यह भी कहा कि उस की पत्नी नौकरी करती है।  एक ने यह भी कथन किया है कि पत्नी के भाई को जीजा ने मरवा दिया और खुद ससुराल में जम गया। एक में यह भी कहा गया है कि मैं ने पत्नी को जो जेवर दिए हैं वे कैसे वापस मिलेंगे।  पर बड़ी बहन और जीजा दोनों मामलों में मौजूद हैं।

 उत्तर –

प्रिय प्रश्नकर्ताओं !

आप सब के मामले एक जैसे हैं। मुझे तो लगता है क

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