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क्या पुश्तैनी संपत्ति वसीयत की जा सकती है?

श्री मनोज कुमार जी, ( मुझे पूरा विश्वास है कि यह एक छद्म नाम है) ने तीसरा खंबा को अनेक प्रश्न भेजे हैं। लेकिन जो मेल पता  (UNLUCKY1983@yahoo.com) उन्हों ने दिया है उस पर मेल किए जाने पर मेल डिलीवर नहीं होता।  तीसरा खंबा ने इस तरह के पतों से आने वाली डाक को “कानूनी सलाह “में  शामिल करना बंद कर दिया है। फिर भी उन में कोई प्रश्न ऐसा  प्रतीत होता है, जिस का उत्तर देने से अन्य पाठकों की जानकारी में वृद्धि होती है तो उन्हें शामिल कर लिया जाता है। यहाँ उन का एक  प्रश्न इस तरह है –

सर जी, मेरा एक सवाल है!मेरे चाचा की अपनी कोई औलाद नहीँ है।उन्होने अपने साले की बेटी को पाला है। उस लडकी की शादी हो चुकी है।मेरे चाचा अपना हिस्सा उस लडकी को देना चाहते है।क्या मेरे पुरखो की जमीन जायदाद पर उस लडकी का हक बनता है।क्या मेरे चाचा को ऐसा करने का कानूनी हक है, अगर हाँ तो कोई बात नही अगर नहीं, तो मुझे आपति है।  किरपया ऊतर देने का कष्ट करेँ। आपका अभार होगा।

उत्तर –

पुश्तैनी जायदाद का अर्थ है अविभाजित संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति। किसी भी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए और वह अपनी कोई वसीयत न छोड़े तो उस के मरते ही उस के उत्तराधिकारी अपने अपने रिश्ते के हिसाब से उस के अधिकारी हो जाते हैं। चूंकि उस संपत्ति में अनेक लोगों का हिस्सा होता है, इस कारण से वह संपत्ति अविभाजित संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति कही जाती है। जब तक इस संयुक्त पारिवारिक संपत्ति का विभाजन नहीं होता है यह संयुक्त बनी रहती है।  आपसी सहमति से अथवा न्यायालय द्वारा जैसे भी हो जब इस संपत्ति का बंटवारा हो जाता है तो सभी भागीदारों को उन का भाग मिल जाता है। वैसी स्थिति में वह संपत्ति अविभाजित संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति नहीं रह जाती। उस पर वैयक्तिक स्वामित्व स्थापित हो जाता है। क्यों कि यह संपत्ति उस व्यक्ति की स्वअर्जित संपत्ति नहीं होती इस कारण से यदि उस के उत्तराधिकारी जन्म ले चुके हों तो उस व्यक्ति को इस संपत्ति को व्ययन करने का अधिकार नहीँ होता। लेकिन यदि उस का कोई उत्तराधिकारी नहीं है तो ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति उत्तराधिकार में प्राप्त हुई अपनी इस संपत्ति का किसी भी तरह से व्ययन कर सकता है।

मनोज कुमार जी के मामले में जिसे पुश्तैनी संपत्ति कहा गया है वह उन्हों ने अपने चाचा के हिस्से की बताई है। इस से प्रतीत होता है कि पुश्तैनी संपत्ति का विभाजन हो चुका है। चूंकि चाचा के कोई संतान नहीं है इस कारण से उन के चाचा को पूरा अधिकार है कि वे उस संपत्ति को किसी को भी वसीयत कर के दे दें, या दान कर दें या विक्रय कर दें। इस में किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इस संपत्ति पर किसी और का कोई अधिकार नहीं है और मनोज कुमार जी का भी नहीं है।
इस प्रश्न से एक बात और निकल कर आती है कि मनोज कुमार जी के चाचा ने अपने साले की लड़की को पाला पोसा है। जिस से ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हों ने उसे गोद ले लिया था। कोई भी अन्य उत्तराधिकारी न होने पर गोदपुत्र या गोदपुत्री उन की एक मात्र उत्तराधिकारी भी हो जाएगी। ऐसी अवस्था में कोई वसीयत आदि न करने पर भी उन की यह संपत्ति उस गोदपु्त्री को ही प्राप्त होगी। मनोज कुमार जी को उस संपत्ति के उन के चाचा द्वारा किसी भी प्रकार से व्ययन
करने पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
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