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चारसौबीसी के पहले जानिए कि छल क्या है?

ताश खेली जा रही है। एक खिलाड़ी चुपके से पत्ता बदल लेता है। दूसरा कहता है -देख भाई खेल में चारसौबीसी नहीं चलेगी। हम होली पर आलू से एक मोहर बनाया करते थे जिस का ठप्पा मार देने पर ‘420’ छप जाया करता था। होली पर यह आसान मजाक था। चारसौबीस का यह अंक इतना नामी या बदनाम है कि इस का उपयोग बेपढ़े लिखे से लेकर पीएचडी किया डाक्टर तक करता है। लेकिन यह पैदा कहाँ से हुआ? आज यही बताया जाए। वास्तव में तीसरा खंबा के एक पाठक श्री विजय धाकड़ ने पूछा है कि ये चारसौबीस धारा क्या है? 
तो चलिए जानते हैं ये चारसौबीस और चारसौबीसी असल में क्या है?
भारतीय दंड संहिता की धारा चारसौबीस (420) छल करने और छल के माध्यम से संपत्ति परिद्त्त करने के लिए बेईमानी से उत्प्रेरित करने के लिए दंड का प्रावधान करती है।
स धारा में ‘मूल्यवान प्रतिभूति’ शब्द का प्रयोग हुआ है, जिस का अर्थ है ऐसा कोई दस्तावेज जिस पर हस्ताक्षर किए गए हों या मुहर अंकित की गई हो और जिसे किसी संपत्ति में परिवर्तित किया जा सकता हो। यह कोई भी दस्तावेज हो सकता है, यहाँ तक कि खाली कागज भी हो सकता है जिस पर किसी के हस्ताक्षर ले लिए गए हों।
स के अतिरिक्त ‘छल’ शब्द का भी प्रयोग हुआ है जिसे भारतीय दंड संहिता की धारा-415 में अलग से परिभाषित किया गया है।  अब 420 को समझने के लिए यह जरूरी है कि पहले 415 को समझ लिया जाए।
धारा-415 भा.दं.सं.
कोई किसी व्यक्ति से प्रवंचना कर के इस तरह प्रवंचित किए गए व्यक्ति को कपटपूर्वक या बेईमानी से उत्प्रेरित करे कि वह कोई संपत्ति किकसी अन्य व्यक्ति को परिदत्त कर दे या सम्मति दे दे कि कोई व्यक्ति किसी संपत्ति को रखे या इरादे के साथ उस व्यक्ति को जिसे इस प्रकार प्रवंचित किया गया है उत्प्रेरित करे कि वह ऐसा कार्य करे या न करे जिसे वह इस तरह प्रवंचित नहीं किया गया होता तो नहीं करता या करने का लोप नहीं करता, और जिस कार्य या लोप से उस व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक. ख्याति संबंधी या सांपत्तिक नुकसान या अपहानि कारित होती है या कारित होनी संभाव्य हो जाती है तो यह कहा जाएगा कि उस व्यक्ति ने छल किया है। किसी या किन्हीं तथ्यों को छिपाना यहाँ प्रवंचना करना है।
म इसे कुछ उदाहरणों से समझ सकते हैं-
1. कोई व्यक्ति यह झूठ बोल कर कि वह सरकारी नौकर है इरादतन किसी दुकानदार को बेईमानी से उत्प्रेरित करता है जिस से वह दुकानदार उसे उधार माल दे देता है जिस का मूल्य चुकाने का उस का कोई इरादा नहीं है,तो यह कहा जाएगा कि वह छल करता है।
2. कोई व्यक्ति किसी वस्तु पर फर्जी चिन्ह बना कर यह प्रदर्शित करता है कि वह वस्तु किसी प्रसिद्ध कंपनी द्वारा बनाई हुई है और उसे खरीदने और उस का मूल्य चुकाने के लिए प्रेरित करता है, तो यह कहा जाएगा कि वह छल करता है।
3. कोई व्यक्ति नकली सेंपल दिखा कर किसी को कोई वस्तु खरीदने और उस का मूल्य प्रदत्त करने के लिए प्रेरित करता है तो कहा जाएगा कि वह छल करता है।

4. कोई ऐसे नगों को जो कि हीरे नहीं है हीरा बता कर विक्रय करता है या गिरवी रख कर धन प्राप्त करता है तो कहा जाएगा कि वह छल करता है।
5. कोई यह विश्वास दिलाता है कि उस के पास माल तैयार है, आप धन दे दीजिए आप को माल तुरंत भिजवा दिया जाएगा। लेकिन उस वक्त तक माल तैयार नहीं किया गया है। तो कहा जाएगा कि वह छल करता है।
इस तरह अब आप समझ गए होंगे कि ‘छल’ करना क्या है। हम अब यह समझ सकते हैं कि ‘420’ क्या है? लेकिन आज ‘छल’ का पाठ ही बहुत लंबा हो गया है। चलिए चारसौबीसी को अगले आलेख के लिए बचा कर रखते हैं। 
अगले आलेख में जानिए चारसौबीसी क्या है?
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