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शपथ आयुक्त और नोटेरी का अंतर


ल शाम की पोस्ट नोटेरी द्वारा प्रमाणित दस्तावेज की साक्ष्य में क्या महत्ता है? पर अजय कुमार झा की टिप्पणी थी….

सर लगे हाथों …अगली कडी में ही सही …ये भी बता दीजिये ..कि नोटरी और ओथ कमिश्नर .द्वारा सत्यापित ..कागजातो का वैधानिक महत्व ..अलग है ..यदि हां तो कैसे…..ये प्रश्न भी अक्सर पूछते हैं लोग …

हुत लोगों को वास्तव में जानकारी नहीं कि नोटेरी और शपथ आयुक्त में क्या अंतर है? दोनों का अंतर यहाँ स्पष्ट किया जा रहा है।
नोटेरी के कार्य
नोटेरी को नोटेरी अधिनियम-1952 के अंतर्गत नियुक्त किया जाता है। इस अधिनियम की धारा 8 में नोटेरियों द्वारा किए जा सकने वाले कार्यों का वर्णन किया गया है। ये कार्य इस प्रकार हैं …

(क) किसी भी उपकरण (दस्तावेज) को सत्यापित करना, प्रमाणित करना या उस के निष्पादन को सत्यापित करना।
(ख) किसी भी वचनपत्र, हुंडी या स्वीकृति या भुगतान या मांग बेहतर सुरक्षा के लिए विनिमय बिल को प्रस्तुत करना।
(ग) किसी वचनपत्र, हुंडी या अंतरण बिल के गैर भुगतान द्वारा किए गए अनादरण, या भुगतान न किए जाने को अंकित करना और बेहतर सुरक्षा के लिए उन का विरोध अंकित करना या परक्राम्य अधिनियम के अंतर्गत उन का आदरण अंकित करना या उन के विरोध या अंकन की सूचना देना।
(घ) किसी जहाज, नाव या घाट या वाणिज्यिक मामलों से संबंधित विरोध को अंकित करना या लिखना।
(ङ) शपथ-पत्र के लिए शपथ दिलाना और शपथ पत्र को सत्यापित करना।
(च) बांडों और चार्टर दलों के अन्य व्यापारिक दस्तावेज तैयार करना।
(छ) भारत से बाहर किसी भी देश या स्थान के लिए वहाँ की विधि के अनुसार रूप और भाषा में ऐसे उपकरण (दस्तावेज) तैयार और प्रमाणित करना जिन का वहाँ काम में लिया जाना अभिप्रेत है।
(ज) एक भाषा से दूसरी में अनुवाद करना और अनुवादित दस्तावेज को सत्यापित करना। एक और किसी भी एक भाषा से दस्तावेज सत्यापित करें.
(झ) कोई भी किसी अन्य कार्य जो निर्धारित किया जाए।

इस तरह नोटेरी के उक्त कार्य हैं। लेकिन आम लोगों का काम नोटेरी से तभी पड़ता है जब उन्हें कोई दस्तावेज जैसे अनुबंध, वसीयत, घोषणा पत्र, बांड आदि का निष्पादन सत्यापित कराना हो या प्रतिलिपि सत्यापित करानी हो या किसी शपथ पत्र का सत्यापन करवाना हो। इसी संदर्भ में नोटेरी को अधिक जाना जाता है।

शपथ आयुक्त के कार्य
पथ आयुक्तों को दीवानी प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत नियुक्त किया जाता है। इन की नियुक्ति जिला जज, जिला कलेक्टर, हाईकोर्ट, राजस्व बोर्ड या अन्य अधिकृतों द्वारा की जाती है। शपथ आयुक्तों का काम उन के द्वारा नियोक्ता न्यायालय अथवा उस के अधीनस्थ न्यायालयों में प्रस्तुत किए जाने वाले शपथ-पत्रों को सत्यापित करना होता है। प्रत्येक न्यायालय में दावों, आवेदनों और अभिवचनों को प्रमाणित करने के लिए पक्षकार या किसी अन्य व्यक्ति का शपथ पत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है, जिस के लिए ये शपथ आयुक्त शपथ पत्र को निष्पादित करने वाले को शपथ दिला कर पूछते हैं कि शपथ पत्र में वर्णित कथन उस के ज्ञान एवं विश्वास से सही एवं सत्य हैं। इस के उपरांत वह शपथ

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