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जीवन बीमा का मूल पॉलिसी बॉण्ड नहीं मिला, मुझे क्या करना चाहिए?

श्री कुमार जोशी ने पूछा है …..

मुझे भारतीय जीवन बीमा निगम से बीमा कराए हुए 4 वर्ष से अधिक समय हो चुका है लेकिन अभी तक बीमा पालिसी बॉण्ड प्राप्त नहीं हुआ है। मुझे क्या करना चाहिए?

उत्तर

प्रिय जोशी जी,

प की समस्या का विस्तृत उत्तर पूर्व में दिनांक 26 मार्च, 2009 की इसी ब्लाग की पोस्ट जीवन बीमा का मूल पॉलिसी बॉण्ड नहीं मिला, बीमा एजेण्ट खर्चे पर डुप्लीकेट निकलवाने को कहता है, क्या करना चाहिए? पर एक अन्य प्रश्नकर्ता के उत्तर में दिया जा चुका है, जिसे आप यहाँ क्लिक कर के पढ़ सकते हैं।

 उस पोस्ट के मुख्य अंश अन्य पाठकों की सुविधा के लिए यहाँ दिए जा रहे हैं ……

जीवन बीमा निगम के लिए यह अनिवार्य है कि वह अपने ग्राहक को पालिसी बाण्‍ड आधिकारिक रूप , पंजीकृत डाक से ही भेजे, और सामान्‍यत- इसी प्रकार भेजा भी जाता है।

पालिसी बाण्‍ड एजेण्‍ट को भी तब ही सौंपा जाता है जबकि एजेण्‍ट, सम्‍बन्धित ग्राहक द्वारा, एजेण्‍ट के पक्ष में प्रदत्‍त अधिकार पत्र शाखा कार्यालय में प्रस्‍तुत करे।  इस प्रकार के एक अधिकार पत्र का नमूना यहाँ प्रदर्शित किया गया है।  जिस का प्रारूप श्री विष्णु बैरागी जी ने स्वयं बनाया है।  इस प्रारूप के तीन भाग हैं।  प्रथम भाग में एजेण्‍ट को अधिकृत किया गया है।  दूसरा और तीसरा भाग, पालिसी बाण्‍ड की अग्रिम पावती है।   एक पावती शाखा कार्यालय में रह जाती है और दूसरी  एजेण्ट अपने पास रखता है।  इन दिनों जो नए छपे प्रस्‍ताव पत्र आए हैं उनमें, निगम ने प्रस्‍ताव पत्र पर ही यह अधिकार पत्र मुद्रित कर दिया है।   इसकी भी यहाँ प्रदर्शित है।   इससे यह स्‍वत: स्‍पष्‍ट है कि  ग्राहक द्वारा जारी अधिकार पत्र के बिना तो पालिसी बाण्‍ड एजेण्ट को दिया ही नहीं जाता।  ऐसे अधिकार पत्र के आधार पर एजेण्‍ट को जब पालिसी बाण्‍ड दिया जाता है तो शाखा कार्यालय एजेण्‍ट से उस पालिसी बाण्‍ड की पावती लेता है।

 (प्रारूपों को बड़ा कर पढ़ने के लिए चित्र पर क्लिक करें)
पके प्रकरण से यह तो स्‍पष्‍ट है कि शाखा कार्यालय से पंजीकृत डाक द्वारा प्रेषित पॉलिसी बॉण्ड  आप को प्राप्त नहीं हुआ है।  ऐसा प्रतीत होता है कि इसे शाखा कार्यालय से पंजीकृत डाक द्वारा भेजा ही नहीं गया।  यदि भेजा होता तो एजेण्ट शाखा कार्यालय से पॉलिसी बाण्ड आप को भेजे जाने के ब्‍यौरे प्राप्त कर आप को बता देता।
ऐसे में हमारा अनुमान है कि आप के जीवन बीमा एजेण्‍ट ने आप को देने के लिए मूल पालिसी बाण्‍ड प्राप्‍त कर लिया होगा जो वह आप को पहुँचा नहीं सका और अब खो जाने से उसे अपने पास भी नहीं मिल रहा है। < br />
प का यह कहना बिलकुल सही है कि आप डुप्लीकेट पालिसी बाण्ड जारी कराए ही क्‍यों?  और यदि ऐसा कराना पडे तो उसका शुल्‍क आप क्‍यों भुगतें ?  आप के प्रकरण में एजेण्‍ट आप को शाखा कार्यालय से सम्‍पर्क करने से रोकता प्रतीत हो रहा है।  यदि हमारा अनुमान सही है तो यह उसके अपराध-बोध का प्रतीक तो है ही, अपितु गलती की परोक्ष स्‍वीकृती  भी है।
प को चाहिए कि आप पूरा प्रकरण, विस्‍तार से लिखते हुए शाखा कार्यालय को एक शिकायत प्रस्‍तुत करें और इस शिकायत की पावती शाखा कार्यालय से प्राप्त कर लें।  अच्‍छा होगा कि आप शिकायत की अपनी (कार्यालय) प्रति पर ही पावती लें।   इसके साथ ही शाखा प्रबन्‍धक से व्‍‍यक्तिगत रूप से भी मिलकर अपनी बात कहें।
मारा अनुमान है कि इस प्रकरण में आप के और आप के एजेण्‍ट के बीच मधुर सम्‍बन्‍ध हैं और इसी कारण एजेण्‍ट इस प्रकरण को इतना खींच पाया है। आप भी अभी तक संकोच पाल रहे है।  यदि यह सही है तो आप एजेण्‍ट को साफ-साफ बता दें कि डुप्लीकेट पॉलिसी के लिए लगने वाला किसी भी प्रकार का शुल्‍क आप वहन नहीं करेंगे।  यह समस्‍त शुल्‍क एजेण्‍ट ही वहन करे।   इसके बाद भी यदि एजेण्‍ट आप का सहयोग न करे तो की जाने वाली कार्रवाई की अग्रिम सूचना देने की सदाशयता बरतते हुए, अपनी लिखित शिकायत एजेण्‍ट को दिखाएँ कि आप ऐसी शिकायत शाखा कार्यालय में प्रस्तुत करने जा रहे हैं। 
में विश्‍वास है कि एजेण्‍ट यदि तनिक भी समझदार और जिम्‍मेदार है तो इसका प्रभाव उस पर होगा ही और वह आप को, बिना कोई शुल्‍क चुकाए, मूल पालिसी बाण्ड अथवा उसकी डुप्लीकेट प्रति ला कर दे देगा।  यदि एजेण्‍ट इस के उपरान्त भी सहयोग न करे तो फिर आप  अपनी शिकायत शाखा कार्यालय में ऊपर बताए अनुसार स्वयं जा कर दे दें।  शाखा कार्यालय की जिम्मेदारी है कि वह आप को पॉलिसी बॉण्ड दिलाए।  यदि फिर भी आप को उचित समय में पॉलिसी बॉण्ड प्राप्त नहीं होता है तो आप न्यायालय जिला उपभोक्ता समस्या निवारण मंच के समक्ष अपनी शिकायत प्रस्तुत कर सकते हैं।   न्यायालय आप को न केवल पॉलिसी बॉण्ड दिलाएगा अपितु आप को हर्जाना और न्यायालय का खर्चा भी दिलाएगा।
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