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दीवानी वाद के साथ धारा 145-146 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत कार्यवाही चल सकती है

  अभिषेक वर्मा ने पूछा है–

सर!

1982 से आज तक संपत्ति का मुकदमा दीवानी न्यायालय में विचाराधीन है जिस में हम प्रार्थी हैं। नगर पालिका और न्यायालय से इस संपत्ति के स्वामी माने जाते रहे हैं और आज भी हैं। दिनांक 30.01.2010 को विपक्षी व अन्य लोगों द्वारा बराबर उक्त संपत्ति पर कब्जा करने व जान माल के नुकसान की धमकी दी जा रही है और कब्जा कर लेने के प्रयास में हैं। क्या धारा 145-146 के अंतर्गत कार्यवाही की जा सकती है? जिस से जान-माल का नुकसान न हो। क्या 145-146 की कार्यवाही और दीवानी मुकदमा साथ-साथ चल सकता है?
 उत्तर —
अभिषेक जी,

धारा 145-146 का संबंध किसी स्थाई संपत्ति पर कब्जे के झगड़े से है। यदि किसी संपत्ति पर कब्जे के विवाद को ले कर शांति भंग होने की संभावना है तो फिर धारा 145 दं.प्र.सं. के अंतर्गत मजिस्ट्रेट  किसी भी पक्ष की के आवेदन पर कार्यवाही कर सकता है। यदि ऐसा आवेदन देने के पूर्व के दो माह में कब्जे जबरन बदला गया है तो वह पूर्व स्थिति स्थापित करने का आदेश दे सकता है। यदि पूरी संभावना है कि संपत्ति के कारण शांति भंग हो सकती है और कोई अपराध हो सकता है तो मजिस्ट्रेट संपत्ति को कुर्क करने और रिसीवर के कब्जे में देने का आदेश भी दे सकता है।

किसी भी दीवानी वाद के साथ धारा 145-146 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत कार्यवाही चल सकती है। क्यों कि इस कार्यवाही के अंतर्गत मजिस्ट्रेट केवल कब्जे के संबंध में अंतरिम आदेश दे सकता है। संपत्ति का स्वामी कौन है और उस पर किसी कब्जा रहना चाहिए या नहीं यह इन धाराओं के अंतर्गत निर्धारित करने की शक्ति मजिस्ट्रेट को नहीं है। 
लेकिन यदि सिविल कोर्ट इस बात की डिक्री पारित कर देता है कि संपत्ति का स्वामित्व किसी व्यक्ति विशेष का है और उसे संपत्ति को अपने कब्जे में बनाई रखने का अधिकार है या उसे कब्जा प्राप्त करने का अधिकार है, तो फिर धारा 145-146 के अंतर्गत कार्यवाही चालू नहीं रह सकती। यदि कोई आदेश पूर्व में इन धाराओं के अंतर्गत मजिस्ट्रेट द्वारा दिया जा चुका है तो वह भी निष्प्रभावी हो जाएगा। 
चूंकि आप का मामला सिविल न्यायालय में लंबित है, ऐसी अवस्था में धारा 145-146 की कार्यवाही चल सकती है। लेकिन आप को शांति भंग किए जाने संबंधी धमकियों के बारे में पुलिस को रिपोर्ट तुरंत करनी चाहिए। पुलिस उस संबंध में स्वयं भी कार्यवाही कर सकती है। ऐसी रिपोर्ट पुलिस में दर्ज करवाने के उपरांत आप भी इन धाराओं के अंतर्गत कार्यवाही करने के लिए मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं।
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