DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

सदर अमीन का पद वैतनिक हुआ : भारत में विधि का इतिहास-59

दर अमीन को अब तक प्रचलित प्रथा के अनुसार प्रत्येक निर्णीत मामले के मू्ल्य के अनुपात में पारिश्रमिक दिया जाता था। लॉर्ड एमहर्स्ट ने 1824 के 13 वे विनियम के द्वारा इस पद को स्थाई बनाते हुए वैतनिक बना दिया और इस पद पर नियुक्ति के लिए योग्यता, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के मानदंड निर्धारित कर दिए गए। लॉर्ड हेस्टिंग्स के उपरांत 1823 में लॉर्ड एमहर्स्ट को बंगाल का गवर्नर जनरल नियुक्त किया गया था जो 1828 तक कार्य रत रहा। उस ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए उपयोगी कदम उठाए। 1827 में सदर अमीन की अधिकारिता में वृद्धि की गई और उसे 100 रुपए मूल्य तक के जिला दीवानी अदालत द्वारा निर्दिष्ट मामलों में विचारण का अधिकार दिया गया। इस अधिकारिता में ब्रिटिश प्रजाजन और यूरोपीय व्यक्तियों को भी सम्मिलित किया गया था। इस तरह सदर अमीन का यह पद महत्वपूर्ण हो गया था। 
क्षमित अपराधी परंपरा का आरंभ
महर्स्ट ने सह-अपराधी को क्षमादान देने की परंपरा आरंभ की। उस ने मजिस्ट्रेटों और पुलिस अधीक्षकों को अधिकार दिया कि किसी अपराध में  शामिल कोई मामूली अपराधी मुख्य अपराधी के विरुद्ध ऐसी सूचनाएँ प्रदान करता है जो कि मुख्य अपराधी को दंडित करने के लिए पर्याप्त हों तो उसे क्षमा कर दिया जाए। इस परंपरा से अपराधों के अन्वेषण और मुख्य अपराधियों के विरुद्ध सबूत जुटाने और उन्हें दंडित किए जाने में बहुत सफलता मिली थी।
कलेक्टरों को सक्षिप्त विचारण का अधिकार
लेक्टरों को अभी तक विचारण का अधिकार नहीं था। लेकिन लॉर्ड एमहर्स्ट ने उन्हें राजस्व मामलों में संक्षिप्त विचारण कर मामलों को निपटारे के अधिकार दिए। कलेक्टर को साक्षी को बयान देने के लिए समन करने का अधिकार भी दिया गया।  हालांकि इस कदम की बहुत आलोचना की गई कि इस तरह कार्यपालिका को न्यायिक अधिकार दे दिए गए हैं। लेकिन अब वर्तमान जनतंत्र में कलेक्टरों और अन्य कार्यपालक अधिकारियों को उस से भी अधिकार प्राप्त हैं। 
सदोष मानव वध का विचारण सर्किट न्यायालयों को
महर्स्ट ने वध के ऐसे मामलों का जो सदोष थे, विचारण और दंड प्रवर्तन अधिकार सर्किट न्यायालयों को दे दिया। अब तक यह अधिकार केवल सदर निजामत अदालत को ही था। 
लॉर्ड एमहर्स्ट ने प्रचलित न्याय प्रणाली में अधिक परिवर्तन नहीं किए लेकिन जो किए वे अत्यधिक महत्वपूर्ण सिद्ध हुए।
Print Friendly, PDF & Email
4 Comments