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वाहन चलाने के समय शराब पिए हुए होने की जाँच साँस विश्लेषक से होनी आवश्यक है

निशांत दुबे पूछते हैं —

सर!

मैं यह जानना चाहता हूँ कि शराब पीने की मेडीकल रिपोर्ट डॉक्टर ने सूंघ कर बनाई है कोई रक्त जाँच नहीं की गई। धारा 185 मोटर यान अधिनियम में केस बना है और अभी तक चालान पेश नहीं हुआ है तो क्या हम मेडीकल रिपोर्ट को चुनौती दे सकते हैं। यदि हम ऐसा करते हैं तो फिर क्या प्रक्रिया होगी। 

उत्तर 
दुबे जी,
ह आप जानते हैं कि शराब पी कर वाहन चलाना न केवल अपराध है जिस के लिए आप को छह माह तक की कारावास या दो हजार रुपए तक जुर्माना या दोनों दंड दिए जा सकते हैं। इस लिए पहली बात तो यह कि किसी को भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए। यदि ऐसा हो गया है और पुलिस ने पकड़ लिया है तो अपने अपराध को मान लेना चाहिए। यदि चालान पेश हो जाए तो अभियुक्त को मजिस्ट्रेट के समक्ष अपनी गलती स्वीकार कर लेना चाहिए। अधिक से अधिक जुर्माने पर आप को छोड़ दिया जाएगा। 
दि यह गलती नहीं की गई है और पुलिस ने केवल रंजिश के आधार पर मुकदमा बनाया है तो सूंघ कर बनाई गयी चिकित्सकीय रिपोर्ट किसी काम की नहीं है। क्यों कि कोई व्यक्ति शराब पी कर वाहन चला रहा था, केवल साँस विश्लेषक (breath analyzer) के द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर ही साबित किया जा सकता है। धारा 185 मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार 100 मि.लि. रक्त में अल्कोहल की मात्रा 30 मि.ग्रा. होना आवश्यक है और यह साँस विश्लेषक ही जाँच सकता है। यदि चालान में साँस विश्लेषक की रिपोर्ट संलग्न नहीं है तो पहली पेशी पर ही आप या आप का वकील मजिस्ट्रेट को कह सकता है कि इस मामले में न्यायालय द्वारा प्रसंज्ञान नहीं लिया जा सकता है क्यों कि साँस विश्लेषक की रिपोर्ट संलग्न नहीं है। यदि प्रसंज्ञान ले लिया जाए तो मजिस्ट्रेट के इस आदेश के विरुद्ध सेशन न्यायालय के समक्ष निगरानी आवेदन प्रस्तुत किया जा सकता है। 
 
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