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कानूनों की हिन्दी प्रतियाँ कैसे मिलें?

तीसरा खंबा की पोस्ट दिवंगत पिता की निर्वसीयती संपत्ति में पुत्रियों का हिस्सा ??? पर हम ने शान्ति जी के प्रश्न का उत्तर दिया था। शांति जी ने हमें जवाबी मेल में लिखा है
……………नमस्कार सर जी,
मैं शान्ति, आप का बहुत बहुत धन्यवाद करती हूँ कि आपने मेरे सवाल का जवाब इतनी अच्छी तरह से समझाया। आप से एक विनती है कि आप ने हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के बारे में लिखा है, ये नियम क्या है, इस नियम को समझने के लिए कि यही नियम कब लागू हुआ? और इस नियम से मुझे क्या लाभ हो सकता है? इस नियम की एक प्रति हिन्दी भाषा में पढ़ने के लिए भेजने की कृपा करेंगे, आप की अति कृपा होगी, आप का बहुत बहुत धन्यवाद।
                                                    प्रार्थी
                                                    शान्ति 
शांति जी ने इस पत्र में अत्यन्त विनम्रता से उन्हें प्रभावित करने वाले कानून की एक हिन्दी भाषा की प्रति की मांग की है। उन की यह मांग इसलिए भी जायज है कि कानून के समक्ष कोई यह नहीं कह सकता कि उसे कानून की जानकारी नहीं थी। इस कारण से सरकार की भी यह जिम्मेदारी हो जाती है कि कानून की जानकारी जनता की भाषा में बिना किसी शुल्क के अथवा न्यूनतम मूल्य पर उपलब्ध कराए। 
निश्चित रूप से भारत में अंग्रेजी किसी भी क्षेत्र की जनता की भाषा नहीं है। फिर भी सभी कानूनों का निर्माण अंग्रेजी में होता है। यदि कभी किसी विधानसभा ने कोई कानून हिन्दी या अन्य किसी भारतीय भाषा में बनाया भी है तो उस की अंग्रेजी भाषा की प्रतियाँ तुरंत उपलब्ध करा दी जाती हैं। इस से कानून के व्यवसाय में लगे लोगों, वकीलों, न्यायाधीशों औऱ सरकारी अधिकारियों आदि को तो वे उपलब्ध हो जाती हैं लेकिन आम लोग जिन पर यह कानून बाध्यकारी होता है वे उस कानून से अनभिज्ञ रह जाते हैं। जो जानना चाहते हैं वे भी बहुत पापड़ बेल कर ही उसे प्राप्त कर पाते हैं।
र्तमान में संसद द्वारा निर्मित और प्रभावी सभी कानून अंतर्जाल पर अंग्रेजी भाषा में इंडिया कोड पर उपलब्ध हैं। हिन्दी भारत की राजभाषा है। इस कारण से इन सभी कानूनों को वहाँ हिन्दी में भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए था। किन्तु इस और कोई विशेष प्रयास भारत सरकार का दिखाई नहीं पड़ता है। भारत सरकार के विधि और न्याय मंत्रालय के विधायी विभाग के विधि साहित्य प्रकाशन ने लगभग सभी केन्द्रीय कानूनों के हिन्दी औऱ हिन्दी-अंग्रेजी द्विभाषी संस्करण प्रकाशित किए हैं। जिस से यह स्पष्ट है कि उन के पास इन के अधिकृत हिन्दी पाठ उपलब्ध हैं। 
इंडिया कोड के माध्यम से कानूनों के मूल अंग्रेजी पाठ इंटरनेट पर उपलब्ध कराए जा सकते हैं तो फिर हिन्दी पाठ क्यों नहीं कराए जा सकते हैं। हालांकि 2002 से इंडिया कोड को हिन्दी में उपलब्ध कराए जाने का प्रयास किया गया है। लेकिन प्रारंभ में तो मात्र इतना किया गया कि गजट की फोटो प्रति को ही पीडीएफ के रूप में वहाँ लगा दिया गया है। 2007 से इन कानूनों का प्रतिलिपि बनाए जा सकने लायक पाठ वहाँ उपलब्ध कराया गया है। लेकिन 2007 के बाद से प्रभाव में आए कानून वहाँ आज तक भी हिंदी में उपलब्ध नहीं है। जब कि अंग्रेजी में नवी

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