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पुत्र की पत्नी का पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं।

 सलिल चौहान पूछते हैं –
मारा मकान दादा जी के नाम पंजीकृत था। उन के देहान्त के उपरांत नगरपालिका के रिकार्ड में दादी का नाम अंकित किया गया। तदुपरांत न्यायालय की डिक्री के आधार पर उस का पंजीकरण मेरे पिता जी और चाचा जी के नाम किया गया। दादी का देहांत हो गया। उस के उपरांत नगरपालिका के रिकार्ड में मकान का आधा हिस्सा पिताजी के नाम और आधा हिस्सा चाचा जी के नाम दर्ज हो गया। पिताजी अब वृ्द्ध हैं। उन के पास आय का कोई साधन नहीं है। उन्हों ने मकान का अपना हिस्सा विक्रय कर दिया। हम तीन भाई हैं हम तीनों को उस विक्रय में कोई आपत्ति नहीं है। मेरे छोटे भाई का उस की पत्नी से विवाद चल रहा है। दोनों अलग अलग रहते हैं।  छोटे भाई की पत्नी ने विक्रय को निरस्त करने और मकान में अपना हिस्सा देने के लिए एक दीवानी वाद दायर किया है। मेरा सवाल यह है कि क्या मेरे छोटे भाई की पत्नी को उस मकान में कोई अधिकार है और क्या वह अपने दावे में सफल हो सकेगी?
उत्तर – – – 

सलिल जी,

प के पिता की संपत्ति में आप के छोटे भाई की पत्नी का कोई अधिकार नहीं है। संपत्ति का विभाजन हो कर वह आप के पिता और चाचा के नाम पंजीकृत हो चुकी थी जिस के कारण वह पुश्तैनी संपत्ति का चरित्र खो चुकी है। अब इस संपत्ति को प्रथम दृष्टया आप के पिता की स्वअर्जित सम्पत्ति ही माना जाएगा, जब तक कि अन्यथा यह साबित नहीं कर दिया जाए कि यह पुश्तैनी संपत्ति है, विभाजन साबित कर दिये जाने पर जिस का साबित किया जाना संभव नहीं है। 
फिर इस संपत्ति पर आप तीनों भाइयों का अधिकार हो सकता है। लेकिन आप की पत्नियों का तो किसी हालत में नहीं। इस तरह आप के छोटे भाई की पत्नी का उस संपत्ति में कोई अधिकार नहीं है। ऐसी स्थिति में उस का वाद सफल नहीं होगा।
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