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तलाक के बारे में नहीं, पत्नी को मित्र बनाने और उस के साथ जीवन बिताने के बारे में सोचिए

 जितेन्द्र ने पूछा है – – –
मेरी शादी फरवरी 2010 को हुई। शादी को ले कर मेरे परिवार वालों और दुल्हन के परिवार वालों के बीच थोड़ी बहुत अनबन लगी रहती थी। शादी अपने ही संबंधियों में हुई है। मेरे परिवार में केवल तीन सदस्य हैं मैं मेरी माँ और पिताजी।  शादी को दो माह भी नहीं बीते थे कि पत्नी हमारे घर पर कुछ ऐसा करती थी जिस से मेरी माँ को बिगड़ना पड़ता था, जैसे जलती गैस के सामने झपकी लेना, खाना ठीक से न बनाना, जरा से डांटने पर जहर खा लेने की धमकी देना आदि। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि आखिर में वो ऐसा क्यों कर रही है। फिर मेरी माँ या मैं ने किसी ने भी उसे मारा-पीटा नहीं बल्कि उसे समझाया कि ऐसे नहीं ऐसे करो, इस सब के बावजूद चार माह घर में रहने के बाद वह अपने मायको चली गई और वहाँ जाते ही उस ने हम लोगों के खिलाफ खूब झूट-मूट की बातें कहीं और यह भी खहा कि लोगों ने मुझे बहुत मारा-पीटा। भगवान जानात है कि मैं खुद दहेज प्रथा और महिलाओं के प्रति हिंसा का विरोधी रहा हूँ। उस की कही उन बातों को सुन कर अवाक् रह गया। उस के चाचा और मामा ने मुझे और मेरे परिवार को फोन पर खूब गालियाँ दीं, बदतमीजी की सारी हदें पार कर दीं। वहाँ जाने के पाँच दिन बाद वह अस्पताल में खून की कमी के कारण भर्ती हो गई। वहाँ के लोगों ने सोचा कि सब ससुराल वालों ने किया है इस कारण उस के मामा ने हमारे परिवार के सारे लोगों के ऊपर पैसा दे कर एफआईआर कर दी। हालाँ कि पुलिस आई और पूछताछ कर के चली गई, मामला ठंडा पड़ गया। मैं अपनी पत्नी को देखने अस्पताल में गया तो वहाँ उस के परिवार वालों ने बहुत ही बुरा सलूक किया। मुझे जब पता गा कि उसे खून की कमी है तो वहाँ के डाक्टर के कहने पर मैं ने अपना खून देने का प्रस्ताव किया तो उस के परिवार वालों ने नहीं देने दिया। इस के बाद कब वह अस्पाताल से घर वापस आ गई मुझे पता नहीं लगा। अब चार माह होने पर उन्हों ने मेरी पत्नी को मेरे यहाँ भेजने से मना कर दिया। मगर हम ने धारा-9 के अंतर्गत अदालत में आवेदन कर दिया है। तीन तारीखें हो चुकी हैं लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया है। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है। मैं उसे लाऊँ या न लाऊँ। मेरे परिवार की इज्जत उछलनी थी वह उछाल चुकी है।  मेरी माँ को गठिया की शिकायत है इस लिए परिवार में बहुत परेशानी हो रही है। कोई कहता है दूसरी शादी कर लो, कोई कहता है जैसे भी हो अपनी पत्नी को ले कर आओ। 
क्या मेरे लिए अपनी पत्नी को लाना ठीक होगा? यदि नहीं तो तलाक कैसे मिल सकता है?
 उत्तर – – – 
जितेन्द्र जी,
पने समस्या का केवल एक पहलू सामने रखा है। आप का विवाह रिश्तेदारी में हुआ है, और विवाह के पहले ही दोनों परिवारों में बात-बात पर तनातनी आरंभ हो गई। रिश्तेदारियों का मेरा अनुभव ऐसा है कि दो तरह के रिश्तेदार होते हैं। एक वे जो हर बात को बनाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं, दूसरे वे जो हर बात को बिगाड़ने का अवसर तलाशते रहते हैं। आप के मामले में भी आप की पत्नी के चाचा और मामा वगैरह ऐसे ही लगते हैं। यदि उन में जरा भी यह भावना होती कि उन की भतीजी/भांजी का परिवार बना रहे तो वे आप और आप के परिवार के साथ पहले सहज तरीके से बात करते और विवाद के बिन्दु तलाश करने का प्रयत्न करते, जो दोनों ही परिवारों में हो सकते थे। फिर उस विवाद का हल करने का प्रयत्न करते। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
प की पत्नी के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता कि उस का व्यवहार ऐसा क्यों था, जब तक कि उस का खुद का कथन सामने न हो। आप ने उल्लेख किया है कि आप की माता जी गठिया रोगी हैं और वे काम नहीं कर सकती, इस कारण से आप को बहुत परेशानी उठानी पड़ रही है। तो यह एक कारण हो सकता है जो आप की पत्नी के व्यवहार का कारण बना हो। हर लड़की विवाह के बारे में जब सोचती है तो वह अपने पति और उस के साथ अपने जीवन बारे में सोचती है। उस सपने में सास-ससुर व अन्य ससुराली मुश्किल से ही प्रवेश करते हैं। यहाँ ससुराल में उसे दिन भर घर का सारा काम करते हुए अपने सास-ससुर को संभालना है। निश्चित रूप से आप लोगों का विवाह नया था तो रात को भी आप की पत्नी को आप को समय देना होता होगा। हो सकता है उस की नींद ही पूरी न होती हो और उसे गैस के सामने झपकी आ जाती हो। मुझे लगता है आप ने ससुराल में एक सद्य विवाहिता के कर्तव्यों पर तो पूरा जोर दिया, लेकिन उस के सपनों के बारे में सोचा तक नहीं। हो सकता है आप की पत्नी की अपने मायके में काम करने की आदत नहीं रही हो। उसे काम करना भी तो आप के यहाँ ही आ कर सीखना था। अपनी परेशानी कोई भी नयी विवाहिता अपने पति तक से नहीं बाँटती। यह तो पति को ही देखना होता है कि उसे कोई परेशानी तो नहीं है। आपने कितनी बार इन परेशानियों के बारे में विचार किया? वह कभी बताती भी है तो पति उसे कह देता है कि वह अपने माता-पिता को कुछ नहीं कह सकता। पत्नी को ही सब कुछ एडजस्ट करना होगा। ऐसे में हो सकता है आप की पत्नी का खाना-पीना कम हो गया हो, जैसा कि अक्सर नयी विवाहितों के साथ होता है। इसी कारण से व रक्ताल्पता की शिकार हो गई हो। यह तो आप ने भी स्वीकार किया है कि आप के यहाँ आप की पत्नी को डाँटा गया है और उस की समझाइश भी की गई है। यदि मेरे अनुमान सही हैं तो यह तो किसी महिला के साथ मारपीट कर देने से भी अधिक बड़ी क्रूरता होगी।
मुझे लगता है कि इन सभी परिस्थितियों में आप के लिए तलाक के बारे में सोचना बहुत बड़ी गलती होगी। आप ने शायद ऐसा इस लिए भी सोच लिया कि आप के अपनी पत्नी के साथ प्यार, नेह और लगाव रिश्ते अभी बने ही नहीं। शारीरिक रिश्ते होना एक अलग बात है। मुंशी प्रेमचंद ने कहा था कि प्रेम साहचर्य से उत्पन्न होता है। आप का आप की पत्नी के साथ साहचर्य ही कितना सा रहा है? आप को अभी अपनी पत्नी के साथ जीवन बिताने के बारे में सोचना चाहिए। अब आप की समस्या के दो पहलू हैं। एक तो आप की पत्नी के वे रिश्तेदार जो आप की पत्नी की दशा देख कर आप से लड़ने पर उतारू हैं। उन्हें आप के और आप की पत्नी के बीच से हटाना जरूरी है और यह तभी हो सकता है जब आप की अपनी पत्नी के साथ निकटता बढ़े। हमारे जमाने में तो शादी के बाद छह-छह माह पत्नी मायके जा कर रहा करती थी। तब दोनों के बीच निकटता के लिए डाकिया बहुत काम आता था। पहले साल तो यह तक होता था कि पति-पत्नी दोनों को रोज पत्र लिखा करते थे। पर डाक का तो अब काम नहीं रह गया है। पर अब मोबाइल हैं। आप अपनी पत्नी के साथ मोबाइल के माध्यम से संपर्क बनाइए। उसे समझिए और खुद को उसे समझाइए। इस के लिए अनेक अवसर तलाशे जा सकते हैं। आप उसे विश्वास दिलाइए कि चाहे आप के बीच पति-पत्नी के रिश्ते रहें या न रहें लेकिन उन के बीच जो दोस्ती का रिश्ता है वह नहीं टूटेगा। तो आप की सारी समस्याएँ समाप्त हो जाएँगी। आप यह कर सकते हैं। कैसे करेंगे? यही आप को सोचना है और करना है। आप चाहें तो इस के लिए किसी अच्छे काउंसलर से मदद ले सकते हैं। पहले आप अपने दोस्ताना संबंध अपनी पत्नी से बनाइए तो सही। आप सोचते हैं कि आप के परिवार की इज्जत उछल चुकी है,  इस सोच को छोड

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