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कंपनी ने पुरानी पॉलिसियों का कमीशन देना बंद कर दिया है, क्या किया जाए?

 राजकुमार जी पूछते हैं – 
मैं दो साल पहले अविवा लाइफ इंश्योरेंस कंपनी (चंडीगढ़) में एडवाइजर था मगर किसी कारणवश मुझे वह छोड़ना पडा। कंपनी ने मेरे द्वारा की गई पुरानी पॉलिसियों का कमीशन देना बंद कर दिया, क्या  कंपनी ऐसा कर सकती है? 
मेरे सेल्स मैनेजर ने भी धोखा किया है, मैं ने जो पॉलिसियाँ की थी वे किसी अन्य एडवाइजर के कोड में मुझे बिना बताए डाल दीं। मेरे पूछने पर उस ने बताया कि उस का कोड एक्टिव रखने के लिए ऐसा किया है। समान राशि की पॉलिसियाँ मेरे खाते में डाल देंगे।  उस ने कमीशन दिलाने का भी वायदा किया। अब उस सेल्स मैनेजर ने भी नौकरी छोड़ दी। फोन पर मेरी उस से बात होती रहती है, उस ने हमेशा ही कहा कि वह भुगतान दिला देगा उस की जिम्मेदारी है। अब 15-16 माह बाद उस ने मेरा फोन उठाना भी बंद कर दिया है। एक बार उठाया तो कहा कि उस के पास कोई पैसे नहीं है, अगर कम्पनी देगी तो वह दिला देगा, उस की कोई जिम्मेदारी नहीं है। अब उस को फोन करने पर उठाता नहीं है मैसेज आता है कि वह मुझे फोन करेगा, लेकिन फोन नहीं आता। मैं ने अविवा के ऑफिस में पता किया तो कहा कि कंपनी नॉन एक्टिव एडवाइजर को कमीशन नहीं देती। क्या यह सही है? कृपया बताएँ मुझे क्या करना चाहिए? 
  उत्तर –


राजकुमार जी,
प वैसे ही हैं जैसे की अधिकांश आम भारतीय, जो मौखिक बातों पर विश्वास करते हैं और बाद में धोखा खाते हैं। पहले यह समझ लें कि कंपनी कोई जीवित व्यक्ति नहीं होती, वह एक विधिक व्यक्ति होती है। उस से कोई भी व्यवहार करना हो तो लिखित में करना चाहिए। किसी भी कंपनी के किसी भी व्यक्ति की किसी मौखिक बात का कोई अर्थ नहीं है क्यों कि आप उन्हें साबित नहीं कर सकते। आप अपने सेल्स मैनेजर से बात करते थे। उस ने आप को बताया होगा कि आप कंपनी छोड़ भी देंगे तो पॉलिसियों का कमीशन आप को मिलता रहेगा। अपनी उसी बात की रक्षा करने के लिए वह कहता रहा कि वह आप को कमीशन दिलवा देगा। जब कि उसी व्यक्ति ने आप की पॉलिसियाँ किसी अन्य एडवाइजर के खाते में डाल दीं। अब इस बात का सबूत भी नहीं रहा कि वे पॉलिसियाँ आप ने की थीं। इस तरह की धोखाधड़ी सर्वत्र फैली हुई है। इस कारण कोई भी काम करते समय यह पहले देख लेना चाहिए कि आप के काम की संविदा (काँट्रेक्ट) सही है या नहीं, और जो बातें मौखिक कही गई हैं वे सब इस संविदा में सम्मिलित हैं या नहीं। यदि संविदा के बाहर कोई मौखिक वादा किया गया है तो निश्चित समझ लीजिए कि वह पूरा होने में पूरा संदेह है।
किसी भी कंपनी और उस के अभिकर्ता (एजेंट) के बीच के विवाद उन के बीच हुई संविदा से ही तय होते हैं। आप अपनी संविदा को पूरा पढ़िए और उस में देखिए कि आप को पॉलिसी का कमीशन सक्रिय नहीं रहने पर भी मिलना है, या नहीं। यदि उन पॉलिसियों का कमीशन आप को हमेशा मिलना है, तो आप को मिलेगा। अन्यथा नहीं मिलेगा। आप की की हुई पॉलिसियाँ, किसी दूसरे के खाते में डाल देना आप के साथ धोखा है और एक अपराध है। वे ये सब करते रहे और आप देखते रहे। यदि आप न्यायालय में
आप के नियुक्ति पत्र (संविदा)  या अन्य किसी दस्तावेज के अनुसार सक्रिय न रहने पर भी कमीशन के हकदार हैं तो फिर आप सीधे कंपनी को एक कानूनी नोटिस भिजवाइए कि  वे कमीशन देना चालू करें और पिछला बकाया कमीशन दें, तथा आप के द्वारा की गई पॉलिसियाँ आप के खाते में स्थानांतरित करें जिस से उन का कमीशन भी आप को मिल सके। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो आप उन के विरुद्ध अपराधिक कार्यवाही करेंगे साथ ही कमीशन के लिए दीवानी वाद लाएंगे। यदि इस नोटिस से कंपनी को समझ आती है तो ठीक अन्यथा आप दोनों कार्यवाहियाँ कर सकते हैं। कानूनी नोटिस देने के लिए आप को किसी वकील से संपर्क करना चाहिए।

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