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अवैध कब्जेदार को बेदखल कर कब्जा प्राप्त करने के लिए आप को वाद लाना होगा

 प्रशांत वर्मा ने पूछा है – 
मेरे मकान का विवाद मेरी बहिन के पुत्र मेरे भांजे से चल रहा है। वह कहता है कि यह मकान मेरे पिता ने खरीदा है, जब कि नगर पालिका में मेरा नाम दर्ज है और वह जमीन 99 वर्ष की लीज पर है। नगर पालिका द्वारा इस पर मेरे भांजे ने नगर पालिका में अपील दाकिल की जो खारिज हो गई। फिर उस ने दीवानी वाद स्वामित्व के लिए क्या और यह व्यादेश (injunction) चाहा कि मैं (भांजा) उस मकान में रहता हूँ और प्रतिवादी (मैं) उसे बेदखल करना चाहता है। जिस पर न्यायालय ने व्यादेश पारित करने से इन्कार कर दिया। फिर वह मुकदमा गवाही के स्तर पर चला गया। लेकिन वादी (भांजे) ने गवाही कराने के स्थान पर अनुपस्थित हो कर मुकदमा खारिज करवा लिया और लंबे समय के बाद उसे पुनर्स्थापित करने के लिए आवेदन प्रस्तुत कर दिया। इस बीच भांजे ने ही मुझे मकान से निकाल दिया और कहा कि जाओ तुम बेदखली का मुकदमा करो और मैं तुम्हें लड़ाउंगा। भांजे ने जो मुकदमा किया है उस में मेरा काउंटर क्लेम भी नहीं है। मैं उस मकान में 1982 से जनवरी 2011 तक रहता आया हूँ। आप हमें सुझाव दें कि क्या भांजे द्वारा किए गए मुकदमे में कार्यवाही कर के मैं अपने भांजे को बेदखल कर सकता हूँ क्या? कर सकता हूँ तो किस प्रावधान के अंतर्गत? या फिर मुझे बेदखली का ही मुकदमा करना पड़ेगा? यही वह चाहता है। मुझे क्या करना चाहिए?

 उत्तर –
प्रशांत जी,
प ने मामले का जो विवरण दिया है उस से पता लगता है कि आप और आप का भांजा दोनों एक ही मकान में रहते थे। आप के भांजे का कहना था कि वह मकान उस के पिता ने खरीदा है और उस पर उस का स्वामित्व है। जब कि नगर पालिका और अन्य स्थानों पर लीज आप के नाम से है। इस तरह उस का कहना है कि यह मकान उस के पिता ने आप के नाम से बेनामी खरीदा था। यदि मामला ऐसा ही है तो आप के भांजे का दावा न्यायालय में नहीं चलेगा क्यों कि बेनामी व्यवहार (प्रतिषेध) अधिनियम 1988 के प्रावधानों के अन्तर्गत कोई भी व्यक्ति उस व्यक्ति के विरुद्ध जिस के नाम संपत्ति है,यह दावा नहीं कर सकता कि वह संपत्ति उस की है और बेनामी है।
ह तो स्पष्ट है कि आप के भांजे का उस संपत्ति पर कोई हक नहीं है। लेकिन वह उस मकान में एक लंबे समय से रह रहा है तो उसे या तो उस की सहमति से ही बेदखल किया जा सकता है या फिर न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर के बेदखल किया जा सकता है, इस के अलावा कोई अन्य मार्ग शेष नहीं है। यदि आप अपने भांजे को अपने मकान से बेदखल करना चाहते हैं तो आप को उसे बेदखल कर कब्जा प्राप्त करने का दावा करना ही होगा। 
पहले आप के भांजे को भय था कि आप उसे उस मकान से बेदखल कर सकते हैं तो उस ने आप के विरुद्ध दीवानी वाद प्रस्तुत कर व्यादेश प्राप्त करना चाहा था जो उसे नहीं मिला। आप उसी दावे में जवाबदावा प्रस्तुत करते समय उसे मकान से बेदखल कराने के लिए काउंटर क्लेम प्रस्तुत कर सकते थे, लेकिन अब आप ऐसा नहीं कर सकते।  आप को भांजे से कब्जा प्राप्त करने के लिए दावा करना ही होगा।
प के विवरण से पता लगता है कि मकान के जिस भाग में आप रहते थे या आप का कब्जा था उस भाग से इसी जनवरी में उसी ने आप को बेदखल कर दिया है। आप को इस तरह बेदखल किया जाना अवैध है और आप को तुरंत ही पुलिस में रपट लिखानी चाहिए थी और भांजे के विरुद्ध अपराधिक मुकदमा दर्ज कराना चाहिए था। आप ने ऐसा क्यों नहीं किया यह समझ नहीं आता है। जिस भाग से आप को बेदखल किया गया है उस भाग का कब्जा प्राप्त करने के लिए आप दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 145-146 के अंतर्गत आप को बेदखल किए जाने के दो माह की अवधि में कार्यवाही कर सकते हैं, दो माह निकल जाने पर यह कार्यवाही भी नहीं की जा सकती है। इस लिए यह कार्यवाही आप को तुरन्त बिना एक दिन की भी देरी किए करनी चाहिए। इस से आप मकान के उस भाग का कब्जा प्राप्त कर सकते हैं जिस पर आप 1982 से जनवरी 2011 तक कब्जे में थे।
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