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अनुबंध कर्मचारियों को अनुबंध समाप्त होने पर कोई कानूनी अधिकार नहीं

 शिवराज ने पूछा है –
मैं ग्राम पंचायत मे नरेगा मे ग्राम रोजगार सहायक के पद संविदा पर कायर्रत हूँ। लेकिन जनवरी 2010 से ग्राम पंचायत ने मेरा मानदेय नहीं दिया बल्कि मेरे खिलाफ 20 एवं 27 फरवरी 2010 को अनुपस्थिति का झूठा नोटिस निकाल दिया। जबकि ग्राम सेवक ने फरवरी 2010 की उपस्थिति को 1 मार्च 2010 को प्रमाणित किया है। इस बीच विकास अधिकारी ने मेरा अनुबंध फरवरी 2011 तक बढा दिया था। दिसम्बर 2010 में विकास अधिकारी पर अत्यधिक दबाव पङने के कारण मेरा तबादला रासीसर पंचायत से पारवा कर दिया था लेकिन पारवा सरपंच ने अपने यहाँ ग्राम रोजगार सहायक होने का हवाला देकर मुझे ज्वाइनिंग देने से इन्कार कर दिया।
मुझे पिछला वेतन लेने तथा  मेरा अनुबध आगे बढाने के लिए क्या करना चाहिए?
 उत्तर –
शिवराज जी, 
रेगा महात्मा गाँधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत आप का नियोजन किन्हीं सेवा नियमों  से शासित होने के स्थान पर आप के नियुक्ति पत्र से ही संचालित होता है। आप का नियुक्ति पत्र वास्तव में एक सीमित कालावधि के नियोजन के लिए किया गया अनुबंध है।  जिस कालावधि के लिए आप से अनुबंध किया गया है, अनुबंध में वर्णित अवधि की समाप्ति के उपरांत आप का नियोजन स्वतः ही समाप्त हो जाता है। उस नियोजन को आगे बढ़ाने के लिए फिर से एक नए अनुबंध की आवश्यकता होती है। अब आप चाहते हैं कि आप का अनुबंध नवीकृत होता रहे या फिर आप को स्थाई नियुक्ति प्राप्त हो जाए जिस में सेवा के अवसान की तिथि पहले से न बताई गई हो। इस तरह नियोजन अवधि आगे बढ़ाने अथवा स्थाई नियुक्ति प्राप्त करने का कोई कानूनी मार्ग नहीं है।
प यह समझ रहे हैं कि आप ने अब तक जो काम किया है उसे आधार बना कर किसी कानूनी प्रक्रिया से आप का नियोजन बना रहे तो आप की यह समझ गलत है। पहले जो लोग एक वर्ष तक निरंतर किसी औद्योगिक नियोजन में सेवा कर चुके होते थे, उन्हें औद्योगिक विवाद अधिनियम में वर्णित प्रक्रिया अपना कर ही सेवा से हटाया (छंटनी किया) जा सकता था। यदि इस प्रक्रिया में कोई त्रुटि हो जाती थी तो कर्मचारी औद्योगिक विवाद अधिनियम के अंतर्गत अपना मामला उठा सकता था और न्यायालय  के निर्णय से पुनः नियोजन प्राप्त कर सकता था। लेकिन 1982 में औद्योगिक विवाद अधिनियम में किए गए संशोधनों में छंटनी शब्द की परिभाषा को संशोधित कर दिया गया और उस में से नियुक्ति पत्र या नियोजन अनुबंध में वर्णित रीति से होने वाली सेवा समाप्ति को हटा दिया गया। इस तरह अब यदि नियुक्ति पत्र या नियोजन अनुबंध में ही यह प्रावधान कर दिया जाए कि किसी निश्चित अवधि के उपरांत कर्मचारी की सेवाएँ समाप्त हो जाएंगी या फिर नियोजन ही सीमित कालावधि के लिए प्रदान किया गया है तो ऐसी सेवा समाप्ति के लिए किसी प्रक्रिया को अपनाने की आवश्यकता नहीं है। ऐसी सेवा समाप्ति को किसी तरह का कानूनी संरक्षण प्राप्त नहीं रह गया है। 
स संशोधन का परिणाम यह हो गया है। अनुबंध समाप्त हो जाने पर कर्मचारी का किसी तरह का कोई संबंध नियोजक से नहीं रह जाता है। वह एक कानूनी अधिकार के रूप में अपनी सेवा को जारी रखने
या पुनः सेवा में लिए जाने के लिए कोई कानूनी कार्यवाही नहीं कर सकता। आप के मामले में भी यही बात है। यह पूरी तरह नियोजक की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह आप के नियोजन को आगे बढ़ाए या न बढ़ाए। आप को पुनः अनुबंधित करे या न करे। हाँ अब यह अवश्य कहा जा रहा है कि आप के जैसे रोजगार सहायकों को स्थाई नियोजन दिया जाएगा। यदि इस तरह का कोई आदेश सरकार देती है और उस के अंतर्गत आप को कोई कानूनी अधिकार प्राप्त होता है तो आप उसे प्राप्त करने के लिए उच्चन्यायालय के समक्ष रिट याचिका दाखिल कर सकेंगे। वर्तमान में तो आप को पुनः नियोजन प्राप्त करने के लिए उसी प्रक्रिया से गुजरना होगा जिस से पहली बार यह नियोजन प्राप्त करने के लिए गुजरना पड़ा था। आप अधिक से अधिक यह कह सकते हैं कि आप को इस कार्य का अनुभव प्राप्त है, और प्रक्रिया में इस का लाभ ले सकते हैं।   
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