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पत्नी को बीमारी से मुक्त होने में मदद करें!


 दिल्ली से अजय जैन ने पूछा है –

मेरी उम्र 35 वर्ष और मेरी पत्नी की 34 वर्ष है हम दोनों ही कुछ भारी बदन हैं।  23 जनवरी 2011 को मेरी सगाई और 20 फरवरी को शादी हुई। संबंध एक हिन्दू विवाह पत्रिका के माध्यम से हुआ जिस में मेरा और मेरी पत्नी दोनों का विवरण छपा था। उसे देख कर मेरी सास ने हम से संपर्क किया। मेरे ससुर और कोई साला नहीं है, मेरी पत्नी की तीन बड़ी बहनें हैं जिन में से दो तलाकशुदा हैं। मेरी सास एक सरकारी विद्यालय से सेवानिवृत्त प्रिंसिपल हैं। मेरे पापा दिल्ली विद्युत बोर्ड में क्लासवन अधिकारी हैं और दो बड़े भाई व एक बड़ी बहिन हैं और सभी सेटल्ड हैं। मेरी मोबाइल फोन की दुकान है। हम ने शिक्षित परिवार देख कर और कोई भी गलत बात महसूस न होने के कारण यह रिश्ता कर लिया। हम ने किसी तरह के दहेज की कोई मांग नहीं की। हमारा स्वयं का परिवार दहेज के विरुद्ध है, पर जैसे समाज में शादी होती है केवल उन से यह पूछा था कि आप शादी किस तरह करेंगे तो मेरी सास ने बताया कि 300-350 मेहमानों की बरात का स्वागत कर सकती हैं। जेवर गहने मुझ को बनवाने की जरूरत नहीं है वे सब मैं ने पहले ही बनवा रखे हैं और अपनी बेटी को सोफा, फ्रिज, टीवी, वाशिंग मशीन आदि भी दूंगी। सगाई के बाद शादी के कुछ दिन पहले से ही मेरी ससुराल वालों के बर्ताव में फर्क आ गया। जब शादी के कार्ड बाँटने का समय आया तो मेरी सास ने बहुत गलत लहजे में बोला कि मैं केवल 75-100 मेहमानों की बरात का ही स्वागत कर सकती हूँ, आदि आदि। सगाई हो चुकी थी और शादी नजदीक थी, इस कारण हम ने उन की सभी बातों को मान लिया। शादी हो गई। फिर शादी के बाद अगले दिन मेरी पत्नी के घर से केवल एक डबल बेड और एक अलमारी ही आई और जेवर गहनों के नाम पर कुछ भी नहीं आया। नाक की लोंग जैसी छोटी चीज भी नहीं आई। फिर भी हम लोगों ने आज तक किसी को कुछ नहीं बोला। हनीमून पर ही मेरी पत्नी ने मजाक-मजाक में मुझे ये बोल कर डराना शुरू कर दिया कि मुझ को भोली-भाली लड़की मत समझना अगर तुमने या किसी ने मुझ को कुछ भी कहा तो मैं सब को घरेलू हिंसा में बन्द करवा दूंगी। हनीमून से लौट कर चार दिन बाद जब हम अपने घर आए तब मेरी पत्नी को रात में दौरा जैसा पड़ा लेकिन हम समझ नहीं पाए कि उसे क्या हुआ, कुछ देर में पत्नी ठीक हो गई। अगले दिन पत्नी होली के कारण 10-12 दिनों के लिए अपने मायके चली गई। तब से मेरी ससुराल वालों ने हम को ये बोलना आरंभ कर दिया कि हम ने ही उन की लड़की को बीमार कर दिया है, हम लोग डाक्टर से अपाइंटमेंट ले रहे हैं, उसे दिखा कर बताएंगे कि उसे क्या हुआ है। दो-तीन दिन के बाद सफाई करते समय मेरे कमरे से एक दवा का खाली रेपर मिला जिस पर ‘लेवेरा 100 मि.ग्रा.’ लिखा था। पता करने पर जानकारी हुई कि यह दवा मिर्गी के रोगी को दी जाती है। तब हमें समझ आया कि शादी तो पूरी तरह प्लानिंग के साथ यह छुपा कर की गई थी कि मेरी पत्नी मिर्गी की रोगी है। मेरी पत्नी अभी उस के मायके में है। 
ब हमें डर है कि अगर मैं मेरी पत्नी को घर ले आया तो वे शायद हम से कोई बड़ी मांग रुपए, जेवर आदि की कर सकती है और हमारे इन्कार करने पर हम लोगों को झूठे आरोप में फंसा सकती है। आप सलाह दें कि इस परिस्थिति में हमें क्या करना चाहिए?


 उत्तर –


अजय जी,
भी तो आप के मामले में किसी तरह की कोई कानूनी समस्या उपस्थित नहीं हुई है। केवल इतनी सी बात है कि आप की सास ने पहले शादी जिस तरह सम्पन्न किए जाने का आश्वासन दिया था उस तरह नहीं की।  विवाह में दोनों पक्षों को साफ सुथरा होना चाहिए। लेकिन आज जिस तरह का वातावरण है उस में इस तरह का साफ सुथरापन कम ही संभव होता है। आप ने यह स्पष्ट नहीं किया कि आप की पत्नी की दो बहनें तलाकशुदा क्यों हैं? आप को अपनी पत्नी और उस के परिवार के बारे में अधिकांश तथ्य विवाह के पहले ही ज्ञात कर लेना चाहिए था और पूरी जाँच पड़ताल के उपरांत ही विवाह करना चाहिए था। लेकिन अब वह सब तो हो नहीं सकता, विवाह तो हो चुका है।
प को अपनी पत्नी की वर्तमान स्थिति के बारे में विचार करना चाहिए। उस के पिता नहीं हैं। माँ राजकीय सेवा से सेवानिवृत्त हो चुकी है। दो बड़ी बहनें तलाकशुदा हैं। यह हो सकता है कि उसे मिर्गी का रोग रहा हो। पर केवल लेवेरा 100 मि.ग्रा. का रैपर मिलना इस बात का सबूत नहीं कि उसे मिर्गी रोग ही है। यह दवा इस मात्रा में बाजार में मिलती नहीं है। इस की 250,500 मि.ग्रा. की गोलियाँ अवश्य बाजार में मिलती हैं। यदि मिर्गी रोग है भी और विवाह के पहले से है तो भी वह विवाह को अकृत या शून्य घोषित करने या तलाक का कारण नहीं हो सकता और केवल इस कारण से आप के विवाह को समाप्त भी नहीं किया जा सकता। इस का सीधा अर्थ है कि आप को अपनी पत्नी जैसी भी है उस के साथ जीवन जीना है। आप को यह भय है कि आप की पत्नी या उस के परिजन आप के विरुद्ध कोई दहेज का मुकदमा लगा देंगे। लेकिन यह सिर्फ आप की आशंका है। यह भी हो  सकता है कि आप की आशंका निर्मूल हो। फिर भी आप अपनी आशंका को जैसे मुझे लिख कर भेजा है वैसे ही एक पत्र में लिख कर रजिस्टर्ड ए.डी. पोस्ट से आप के इलाके के पुलिस थाने तथा आप के इलाके के परिवार न्यायालय को प्रेषित कर दें। उस पत्र की प्रति, डाक की रसीद व प्राप्ति स्वीकृति प्राप्त होने पर संभाल कर रखें।  तीसरा खंबा को भेजे गए प्रश्न और इस पोस्ट की भी प्रिंट निकाल कर रख लें। यदि भविष्य में आप की आशंका निर्मूल सिद्ध न हुई तो आप इन्हें सबूत के रूप में काम ले सकते हैं।

प को इन परिस्थितियों में सारी आशंकाओं को निकाल कर आप इस बीमारी से उबरने में अपनी पत्नी का साथ देना चाहिए। यह आप के निर्दोष प्रेमपूर्ण व्यवहार  से ही संभव है। आप अपनी ससुराल जाएँ। अपनी पत्नी और उस के परिजनों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार प्रदान करें। बताएँ कि विवाह के उपरान्त पत्नी आप की जिम्मेदारी है, उन की नहीं। अपनी पत्नी को प्रेमपूर्वक अपने साथ रखें, धैर्य पूर्वक उस की चिकित्सा कराएँ। आप का यह निर्दोष प्रेमपूर्ण व्यवहार आप की पत्नी को आप का तो बनाएगा ही साथ ही उसे रोगमुक्त होने में भी मदद करेगा। यदि आप ऐसा कर सके तो निश्चय ही आप की पत्नी भी सब कुछ छोड़ कर आप का साथ देगी। आप की पत्नी के परिजन भी आप के इस व्यवहार से संतुष्ट होंगे और स्वयं को भी बदल पाएंगे। आप को इस मामले में कभी कोर्ट कचहरी जाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। मेरी और तीसरा खंबा की शुभकामनाएँ सदैव आप के साथ रहेंगी।

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