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पंचायत द्वारा जारी गलत पट्टे को निरस्त कराने के लिए दीवानी वाद प्रस्तुत करें

 जयपुर से अमित शर्मा ने पूछा है –
मारे गाँव के पूर्व जागीरदार के पूर्वजों का बनाया एक मंदिर है, जिसका सेवायत अधिकारी हमारा परिवार था। किन्तु किसी अभिलेख के भाव का लाभ उठाते हुए जागीरदार परिवार के एक उत्तराधिकारी ने हमें मंदिर से बेदखल कर दिया है और तत्कालीन सरपंच से मिलीभगत कर पंचायत से उक्त मंदिर का पट्टा अपने नाम पर बनवा लिया है। जागीरदार परिवार के अन्य उत्तराधिकारी और हमारा परिवार सिर्फ इसलिए कोई कार्यवाही करने में हिचक रहे हैं, क्योंकि जागीरदार परिवार के मुखिया ठाकुर साहब अत्यंत वृद्ध हैं और उक्त उत्तराधिकारी के संरक्षण में रहतें हैं। ठाकुर साहब भी इसी विवशता में चुप हैं कहीं उन का बुढ़ापा न बिगड़ जाए।  हम भी क़ानूनी कार्यवाही इसलिए नहीं कर पा रहें हैं क्योंकि ऐसा करने पर ठाकुर साहब को पक्षकार बनाना पड़ेगा, जो कि उचित नहीं होगा। जागीरदार परिवार के अन्य सदस्य और हमारा परिवार ठाकुर साहब के जीवित रहते किसी भी क़ानूनी कार्यवाही को नहीं करना चाहते, स्वयं ठाकुर साहब उक्त उत्तराधिकारी के संरक्षण में होने से कुछ उचित/अनुचित बोलने से बचते हुए मौन धारण किये हैं। इन परिस्थितियों में क्या सिर्फ मंदिर के पट्टे की वैधानिकता सम्बन्धी कोई कार्यवाही की जा सकती है?

 उत्तर –

अमित जी,

ग्राम पंचायत द्वारा जो पट्टा जारी किया गया है उसे निरस्त करवाने के लिए आप को दीवानी न्यायालय में उस पट्टे को शून्य घोषित करने के लिए वाद प्रस्तुत करना पड़ेगा। इस वाद में पट्टा शून्य घोषित होने से उस व्यक्ति के अधिकार प्रभावित होंगे जिस के नाम पट्टा जारी किया गया है। इस तरह वह व्यक्ति जिस के नाम पट्टा जारी किया गया है एक आवश्यक पक्षकार है। उसे पक्षकार बनाए बिना वाद में आवश्यक पक्षकार को पक्षकार न बनाए जाने का दोष बना रहेगा और यह वाद इस दोष के कारण निरस्त किया जा सकता है।

स तरह के वाद में ग्राम पंचायत और तत्कालीन सरपंच को व्यक्तिगत रूप से पक्षकार बनाया जाना आवश्यक है। ग्राम पंचायत के विरुद्ध कोई भी दीवानी वाद तभी प्रस्तुत किया जा सकता है जब कि ग्राम पंचायत को वाद  के तथ्य और वाद कारण बताते हुए एक नोटिस वाद प्रस्तुत करने के दो माह पूर्व दे दिया जाए। यदि इस तरह  का नोटिस दिए बिना ही कोई वाद प्रस्तुत किया जाता है तो वह भी इसी आधार पर निरस्त किया जा सकता है कि पंचायत अधिनियम के अंतर्गत नोटिस नहीं दिया गया है।

मेरी सलाह है कि आप को वर्तमान में यह करना चाहिए कि आप किसी सक्षम वकील को अपना मामला बताएँ और ग्राम पंचायत को विधिक नोटिस  दिलवा दें। आप चाहें तो इस नोटिस की एक प्रति जिला कलेक्टर और सचिव, पंचायत विभाग राजस्थान सरकार को भी भेज सकते हैं। लेकिन यह नोटिस दे देने के उपरांत आप को शीघ्र ही दीवानी वाद भी प्रस्तुत करना चाहिए। यदि आप इस भावनात्मक स्थिति में रहे कि वृद्ध ठाकुर साहब का बुढ़ापा बिगड़ जाएगा तो हो सकता है कि एक सार्वजनिक संपत्ति हमेशा के लिए व्यक्तिगत संपत्ति में परिवर्तित हो जाए।

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