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संपत्ति पर जबरन कब्जा कर लेने पर 145,146 दं.प्र.संहिता के अंतर्गत कार्यवाही करें

 रतनलाल ने पूछा है –
मने  156 (3) के तहत धIरा 420,467,468,470,120/बी का मुकदमा दिनांक 31.01.2011 को किया। जिस में पुलिस ने जमीन मालिक को जेल भेजा है और जमीन को विवादित माना और कब्ज़ा भी हमारा ही माना है। पुलिस ने चार्जशीट अदलात में पेश कर दी है। जिस में आगामी पेशी 29.11.2011 नियत है।  हमने दीवानी अदालत में दिनांक 31.05.2011 को रजिस्ट्री निरस्त करने का मुकदमा किया जिस की पेशी 06.07.2011 थी। इस पेशी में धोखा करने वाला औऱ क्रेता नहीं आया। परन्तु उस के 10 दिन बाद खेत में जो फसल हमने बो रखी थी क्रेता ने उसको हांक दी और कब्ज़ा कर के बैठ गया है और गाली गलौच कर रहा है। हमने धारा 147,427,447 का मुकदमा 25.07.2011 को किया है। (मेरे बाहर होने की स्थिति देरी से पुलिस केस करना पड़ा) क्या पुलिस हमारा कब्ज़ा  वापस दिला पायेगी? या फिर कानूनी उलझन में डाल देगी कृपया उचित राय देवें जिस से हमें सही दिशा मिले। पुलिस ने अभी तक कार्रवाई चालू नहीं की है।  क्रेता ने बटवारा का दावा कर रखा है।  हमने यह भूमि 100 रुपये के स्टाम्प पेपर पर इकरारनामा कर के दिनांक 29.08.2009 को  1,20,000/- को खरीदी थी, तब से कब्जा हमारा ही है। 
 उत्तर- 
रतनलाल जी,
प पूर्व में भी अपनी समस्या यहाँ प्रस्तुत कर चुके हैं। तब आप को सलाह दी गई थी कि
क तो आप को बंटवारे के दावे में पक्षकार बनने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करना चाहिए और उस दावे में पक्षकार बन कर अपना पक्ष प्रस्तुत करना चाहिए।
दूसरे आप को विक्रेता द्वारा तीसरे पक्ष के पक्ष में जो विक्रय पत्र निष्पादित कर पंजीकृत कराया है उसे निरस्त कराने तथा आप के पक्ष में विक्रय पत्र का निष्पादन कर उस का पंजीयन कराने के लिए दीवानी वाद तुरंत प्रस्तुत करना चाहिए। इसी दावे में आप को दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 39 के अंतर्गत एक अस्थाई व्यादेश (Temporary Injunction) का आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए कि आप के कब्जे में विक्रेता या तीसरा पक्ष या उन के कोई भी प्रतिनिधि हस्तक्षेप न करें। इस वाद के द्वारा ही आप रजिस्ट्री को निरस्त करवा सकते हैं और इसी वाद में प्रस्तुत इस आवेदन द्वारा आप अपने कब्जे में किसी प्रकार के हस्तक्षेप के विरुद्ध स्थगन प्राप्त कर सकते हैं।
  
प ने यहाँ यह नहीं बताया कि क्या आप ने बँटवारे के दावे में पक्षकार बनने के लिए आवेदन किया है? आप ने हमारी सलाह के अनुसार रजिस्ट्री निरस्त कराने के लिए दावा प्रस्तुत कर दिया है। लेकिन आप को सलाह दी थी कि इसी दावे में आप को विक्रेता के विरुद्ध आप के साथ किए इकरारनामे की पालना में विक्रय पत्र का निष्पादन करने और उसे पंजीकृत कराने की राहत भी मांगनी चाहिए थी। आप ने अपने दावे में इस राहत के लिए कोई प्रार्थना की अथवा नहीं यह भी आपने नहीं बताया है। यदि आप ने इन दोनों राहतों को उस में सम्मिलित किया है तो ठीक है अन्यथा उन्हें इस दावे में सम्मिलित कराने के लिए अपने दावे में तुरंत संशोधन का आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए। हम ने कहा था कि इस दावे में आप को स्थगन की मांग करनी चाहिए थी और दूसरे क्रेता को पंजीयन कराने और कब्जा प्राप्त करने पर स्थगन प्राप्त करना चाहिए था। इस संबंध में प्रयत्न किया गया या नहीं यह भी आप ने नहीं बता

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