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अनुकम्पा नियुक्ति के लिए देरी से प्रस्तुत आवेदन उचित कारण होने पर स्वीकार किया जा सकता है

 श्रीमती ममता अग्रवाल ने पूछा है-
मेरे ससुर जी उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग में इंजिनियर के पद पर नियुक्त थे। नौकरी में रहते हुए उन का देहान्त 1985 में हो गया। मेरे पति ने 1993 में अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। लेकिन अभी तक भी नौकरी नहीं मिली है। हमारी दशा दयनीय है। कृपया बताएँ कि हमें क्या करना चाहिए?

उत्तर-
ममता जी,
प के प्रश्न से यह स्पष्ट नहीं है कि आप के पति के पिता का देहान्त 1985 में हो जाने पर भी उन्हों ने करीब आठ वर्ष की देरी से अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन क्यों किया। इन नियमों में आवेदन करने के लिए एक निश्चित अवधि निर्धारित है। इस निर्धारित अवधि के उपरान्त किए गए आवेदन को स्वीकार किया जाना संभव नहीं होता। लेकिन अनुकम्पा नियुक्ति देने वाला अधिकारी उचित और पर्याप्त कारण होने पर देरी से प्राप्त आवेदन पर भी विचार कर सकता है। मुझे ऐसा लगता है कि आप के पति का आवेदन केवल इसी कारण से निरस्त कर दिया गया है कि वह बहुत देरी से प्रस्तुत किया गया था। आप को आप के प्रश्न का सटीक उत्तर प्राप्त करने के लिए वे सारी परिस्थितियाँ बतानी चाहिए थीं जिन के कारण यह देरी हुई। 
राजेन्द्र राम बनाम उत्तरांचल राज्य के मुकदमे में  उत्तराखंड उच्चन्यायालय ने निर्णय देते हुए इसी तरह से देरी के कारण निरस्त किए गए आवेदन के मामले में सरकार को अनुकम्पा नियुक्ति के लिए विचार करने का निर्देश दिया है। इस मामले में कर्मचारी की मृत्यु 28.12.1988 को हुई थी और उस के पुत्र ने 08.07.2002 को अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था। देरी से आवेदन प्रस्तुत करने का कारण यह रहा कि कर्मचारी की नियुक्ति के समय उस का पुत्र मात्र चार वर्ष का था तथा माता का देहान्त पिता के पूर्व ही हो चुका था। पुत्र ने वयस्क होते ही आवेदन प्रस्तुत कर दिया। यदि आप के मामले में भी इसी तरह का कोई कारण रहा हो और आप का आवेदन निरस्त कर दिया गया हो तो आप के पति आवेदन निरस्त करने के आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय में रिट याचिका प्रस्तुत कर सकते हैं। यदि आप का आवेदन आज तक लंबित है तो आप के पति द्वारा नियुक्ति अधिकारी को स्मरण पत्र भेजा जा सकता है। इस स्मरण पत्र पर भी कार्यवाही नहीं किए जाने पर नियुक्ति अधिकारी को न्याय प्राप्ति के लिए किसी वकील के माध्यम से नोटिस भेजा जा सकता है और उस के उपरान्त रिट याचिका प्रस्तुत की जा सकती है।

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